केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड), मुंबई ने पद्मावती फिल्म के बारे में सूचना देने से मना कर दिया है। लखनऊ स्थिति एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर ने सेंसर बोर्ड को संजय लीला भंसाली की पदमावती के लिए सिनेमेटोग्राफी एक्ट 1952 के अंतर्गत सेंसर प्रमाणपत्र के सम्बन्ध में कृत कार्यवाही से जुड़े अभिलेख मांगे थे।
02 जनवरी 2018 के अपने उत्तर द्वारा बोर्ड के जन सूचना अधिकारी संजय जायसवाल ने नूतन को बताया कि यह सूचना गोपनीय है और नहीं दी जा सकती है। नूतन के अनुसार यह उत्तर पूरी तरह गलत है क्योंकि आरटीआई की सूचना मात्र आरटीआई एक्ट के प्रावधानों में ही मना की जा सकती है, न कि किसी अभिलेख को गोपनीय बता कर, अतः वे इसके खिलाफ अपील करेंगी।
बता दें कि संजय लीला भंसाली की विवादित फिल्म पद्मावती को लेकर सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन के सुझाव को लेकर करणी सेना अभी भी गुस्से में है। ख़बरों के मुताबिक, करणी सेना ने कहा है कि मोदी सरकार ने हमें आश्वासन दिया था लेकिन फिर भी किसके दबाव में फ़िल्म को हरी झंडी दे दी गई। करणी सेना फिल्म की शूटिंग की शुरुआत से ही इसके विरोध में अभियान चला रही है। करणी सेना ने कहा है कि पूरा देश जलेगा अगर पद्मावती रिलीज़ हुई, हम हिंसा नहीं चाहते हैं पर हमें मजबूर न किया जाए।
गौरतलब है कि अपनी रिलीज से पहले ही पद्मावती काफी दिनों से विवादों के बीच घिरी है। फिल्म की रिलीज को लेकर पूरे देश में जगह-जगह प्रदर्शन लगातार हो रहे हैं। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के सदस्यों ने शनिवार को कलेक्ट्रेट परिसर में फिल्म पद्मावती को रिलीज नहीं करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारियों ने फिल्म के निर्देशक पर आरोप लगाया कि वह केवल पैसे कमाने के लिए देश की सभ्यता एवं गौरवशाली इतिहास के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं। हालांकि फिल्म के रिलीज को लेकर सेंसर बोर्ड से हरी झंडी मिलने के बाद अब प्रदर्शन और तेज होने लगे हैं।
Censor Board Padmavati document