समाजवादी पार्टी की कमान सँभालने के बाद अखिलेश यादव लगातार पार्टी को राष्ट्रीय दर्जा दिलाने का दावा कर रहे थे। मगर इसके विपरीत सपा की हालत और खराब हो गयी और पिछले लगातार कई चुनावों में उस हार का मुंह देखना पड़ा है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अब लोकसभा चुनावों की तैयारियां कर रहे हैं मगर उत्तर प्रदेश में ही काफी सीटें ऐसी हैं जिनपर मुलायम-शिवपाल के बिना अखिलेश के लिए सपा को जीत दिलाना मुश्किल होगा।
घर से सड़क पर आ चुका है झगड़ा :
उत्तर प्रदेश की सत्ता में रहते हुए ही समाजवादी पार्टी में घर का झगड़ा सड़क तक देखने को मिला था। यही झगड़ा था जिसकी वजह से समाजवादी पार्टी को 2017 के चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा था। सपा को अपने गढ़ इटावा और मैनपुरी में भी बड़ी शिकस्त झेलनी पड़ी थी। ये सब ऐसे समय में हुआ जब मुलायम-शिवपाल की भूमिका पार्टी में न के बराबर हो गयी थी। अखिलेश यादव अकेले ही हर प्रत्याशी के लिए जनता से मतदान की अपील कर रहे थे।
बिना मुलायम-शिवपाल पार नहीं होगी नैय्या :
मुलायम सिंह यादव ने 25 साल पहले समाजवादी पार्टी की स्थापना की थी और इस दौरान मुलायम ने दिन-रात कड़ी मेंहनत की थी। मगर साल 2016 में कुछ ऐसा हुआ जो शायद सपा परिवार कभी नहीं भुला सकेगा। जानकारों का मानना है कि मुलायम सिंह यादव को सपा की मुख्य धारा से दूर करके पार्टी फिर सत्ता में नहीं आ सकेगी। उत्तर प्रदेश में कई सीटें ऐसी हैं जहाँ पर मुलायम सिंह यादव की ख़ास पैठ है। इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि विधानसभा चुनावों में जिसके लिए उन्होंने प्रचार किया, वे लोग चुनाव में जीते थे। चाहे वो शिवपाल यादव हो या मुलायम के करीबी पूर्व मंत्री पारसनाथ यादव।
शिवपाल की संगठन में है पकड़ :
सपा में मुलायम के साथ ही शिवपाल की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। संगठन में जैसी पकड़ शिवपाल यादव की है वैसी सपा में किसी की नहीं है। मगर उन्हें नजरअंदाज कर देने का खामियाजा सपा अभी तक भुगत रही है। ऐसे में अगर लोकसभा चुनाव में सपा को अच्छा प्रदर्शन करना है तो अखिलेश यादव को इन्हें मुख्य धारा में लाना होगा।
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