मुंबई की मशहूर हाजी अली दरगाह में अब महिलाओं को भी एंट्री मिल सकेगी। शुक्रवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए ट्रस्ट की ओर से दरगाह के भीतरी गर्भगृह में प्रवेश पर बैन को हटा लिया। हाजी अली दरगाह के अंदरूनी हिस्से तक महिलाओं को जाने की इजाज़त मिल गई है। बॉम्बे हाइकोर्ट ने 2012 से महिलाओं के जाने पर लगी पाबंदी को हटा लिया है। आपको बता दें कि पहले हाजी अली ट्रस्ट के लोगों के बीच महिलाओं के प्रवेश को लेकर विवाद खड़ा हो गया था।
- जस्टिस वीएम कनाडे और जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे की खंडपीठ मामले की सुनवाई कर रही है।
- हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से दरगाह जाने वाली महिलाओं को सुरक्षा मुहैया कराने को कहा है।
- याचिकाकर्ता जाकिया सोमन, नूरजहां सफिया नियाज की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव मोरे ने हाई कोर्ट में पैरवी की।
- याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत के फैसले की जानकारी देते हुए कहा, ‘कोर्ट ने महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी को हटा लिया है।
- वहीं, दरगाह ट्रस्ट ने कहा है कि वो हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।
हाजी अली दरगाह में एंट्री के लिए स्वराज महिला संगठन भी आगे आया
टापू पर बनी है दरगाहः
- हाजी अली की दरगाह मुंबई के वरली तट के पास टापू पर स्थित एक मस्जिद है, जिसमें दरगाह भी है।
- यह दरगाह मुख्य सड़क से लगभग 400 मीटर की दूरी पर एक छोटे से टापू पर बनी है।
- इसका निर्माण सैयद पीर हाजी अली शाह बुखारी की स्मृति में 1431 में बनाया गया था।
- यहां तक पहुंचने के लिए मुख्य सड़क से एक पुल बना हुआ है।
- दरगाह तक केवल निम्न ज्वार के समय ही पहुंचा जा सकता है।
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2011 तक जा सकती थीं महिलाएं:
- दरगाह मैनेजमेट का कहना था कि शरिया कानून के मुताबिक महिलाओं का कब्रों पर जाना गैर इस्लामी है।
- दरगाह के ट्रस्ट का कहना है कि यह प्रतिबंध इस्लाम का अभिन्न अंग है।
- महिलाओं को पुरुष संतों की कब्रों को छूने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
- अगर ऐसा होता है और महिलाएं दरगाह के भीतर प्रवेश करती हैं तो यह ‘पाप’ होगा।
- हालांकि साल 2011 तक महिलाएं हाजी अली दरगाह में प्रवेश करती रहीं हैं लेकिन 2011 के बाद से दरगाह में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी।
- गौरतलब है कि याचिकाकर्ता नूरजहां सफिया नियाज की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव मोरे ने हाई कोर्ट में महिलाओं को प्रवेश दिलाने वाले केस की पैरवी की थी।
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