उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में कार्यरत उप मुख्यमंत्री के खिलाफ एक अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल की है। अधिवक्ता ने इस पद को संवैधानिक ना बताते हुए अधिकार रद्द करने की मांग की है।

अब तक करीब 240 पीआईएल दाखिल कर चुके लखनऊ के अधिवक्ता अशोक पांडेय ने बताया कि केंद्र में इस समय भारतीय जनता की सरकार है। भाजपा ने देश के कई राज्यों में उप मुख्यमंत्री बना रखें हैं। पीआईएल में इस पद को संविधान विरुद्ध बताया गया है। पीआईल Diary No.- 1657 – 2018, ASOK PANDE vs. DR. DINESH SHARMA में अधिवक्ता ने कई राज्यों को भी शामिल किया है। अधिवक्ता के अनुसार, भाजपा ने तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात, बिहार, जम्मू-कश्मीर, अरुणांचल प्रदेश में कुल 9 उप मुख्यमंत्री काम कर रहे हैं।

अशोक कुमार ने कहा कि संविधान में उप मुख्यमंत्री का कोई पद नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार उप मुख्यमंत्री बना रही है तो पहले संविधान में संसोधन करे। उन्होंने पीआईएल के जरिये पूछा है कि ये उप मुख्यमंत्री किस अधिकार के तहत काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर संविधान में इनका कोई पद नहीं है तो इन्हें तत्काल हटाया जाये। बता दें कि अधिवक्ता ने पीआईएल दाखिल कर दी है लेकिन देखने वाली बात ये होगी कि सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई कब करेगी।

बता दें कि 1989 में विवाद तब उठे जब देवी लाल ने वी.पी. सिंह सरकार में उप प्रधान मंत्री के रूप में शपथ ली थी, जो कि तब तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमन द्वारा कैबिनेट मंत्री का पद संभालने के लिए शपथ ले रहे थे। देवीलाल की शपथ के बाद सर्वोच्च न्यायालय में के एम शर्मा ने आरोप लगाए थे कि हरियाणा नेता ने संविधान की तीसरी अनुसूची में निर्धारित शपथ नहीं ली थी। तब अटॉर्नी जनरल सोली जेएसाराजी ने एससी को बताया कि जब से प्रधान मंत्री भी मंत्रियों की परिषद के सदस्य थे।

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