जब से हर बुधवार को हेल्मेट व सीट बेल्ट के मद्देनजर ऑनरोड वाहनों के चेकिंग का सिलसिला शुरू हुआ तो ऐसे कई मौके रहें जब पीड़ित महिला पीटीओ के साथ उनकी उच्चस्थ महिला अधिकारी खुद मौजूद रहीं और चेकिंग दल की अगुवाई करती नजर आयीं। मगर ओवरलोडिंग करने वाले ट्रक मालिक से मिली जानलेवा धमकी के बाद महिला पीटीओ को उन महिला अफसर के साथ व सहयोग की दरकार कहीं अधिक रहीं। उसी मौके पर उन्होंने अपनी अधीनस्थ महिला को अकेला छोड़ दिया।

बता दें कि शनिवार को पीजीआई क्षेत्र में मध्य प्रदेश के रास्ते राजधानी में प्रवेश करने वाले जिस ओवरलोड ट्रक के खिलाफ कार्रवाई के दौरान महिला पीटीओ को वाहन स्वामी से फोन पर धमकी मिली थी। उसके खिलाफ पूरे 24 घंटे से अधिक समय बीत जाने के बाद पीजीआई थाने में मुकदमा दर्ज हो पाया।

जिसके तहत मोटर मालिक द्वारा फोन पर महिला अधिकारी के साथ अभद्र व्यवहार व जान से मारने की धमकी तथा सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करने का आरोप लगाया गया है। वहीं कानून जानकारों की मानें तो जिन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है, उसके तहत आरोपी की गिरफ्तारी संभव नहीं है बल्कि तफ्तीश व पूछताछ की जा सकती है।

थाने में मौके पर एआरटीओ प्रवर्तन बीके अस्थाना व पीटीओ नागेंद्र बाजपेई सहित अन्य हमराही मौजूद थे। वहीं इस प्रकरण को लेकर जब आरटीओ प्रवर्तन विदिशा सिंह के सीयूजी मोबाइल नंबर पर कई बार कॉल किया गया तो उन्होंने रिसीव नहीं किया।

राजधानी क्षेत्र में चेकिंग कार्रवाई के दौरान एक महिला पीटीओ को दूसरे प्रदेश में बैठा मोटर मालिक फोन द्वारा जान से मारने की धमकी देता है और परिवहन विभाग के प्रवर्तन टीम को उसके खिलाफ आवश्यक कानूनी खानापूर्ति करने में 24 घंटे से अधिक समय लग जाता है।

विभागीय सूत्रों की मानें तो उच्चाधिकारियों के इस प्रकरण में उतनी अधिक रुचि नहीं लेने के चलते प्रवर्तन दस्ते के अधीनस्थ अधिकारियों की टीम सार्वजनिक रूप से आगे कदम बढ़ा नहीं पा रही है। मगर जब मामले ने मीडिया में तूल पकड़ना शुरू किया तो प्रदेश सहित लखनऊ संभाग के एआरटीओ व पीटीओ अधिकारियों ने एकदूसरे से फोन पर संपर्क किया और तब जाकर कुछ साथी अधिकारियों के साथ एकजुट होकर पीजीआई थाने में मुकदमा दर्ज कराया जा सका।

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