कासगंज में 26 जनवरी के दिन तिरंगा यात्रा पर पथराव के बाद भड़की हिंसा में एक स्थानीय कॉलेज से कॉमर्स की पढ़ाई कर रहे चंदन गुप्ता की मौत हो गई और मजदूरी करने वाले नौशाद और मोहम्मद अकरम घायल हैं. इसके बाद देखते ही देखते पूरे कासगंज को हिंसा की आग ने अपनी चपेट में लिया. कासगंज में भड़की हिंसा ने तीन परिवारों को जो जख्म दिए हैं, उस दर्द को वह कभी भूल नहीं पाएगा. वहीँ कासगंज की हिंसा कीं चपेट में अपनी एक आंख खोने वाले अकरम और पैर में गोली खाने वाले नौशाद ने हिंसा के दौरान की अपनी बेहद दर्दनाक कहानी बयां की है.
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आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के कासगंज जिला में तिरंगा यात्रा के दौरान हुई हिंसा में चंदन की हत्या हो गई थी.वहीँ शनिवार को मृतक का अंतिम संस्कार किया गया. परिजन पहले तो अंतिम संस्कार के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन कड़ी सुरक्षा के बीच जब स्थानीय सांसद ने सीएम योगी से परिजनों की बात करवाई इसके बाद मृतक का अंतिम संस्कार किया गया. वहीं फायरिंग में गोली लगने से घायल नौशाद का इलाज अलीगढ़ में चल रहा है.
मुझे कार से खींचकर बाहर निकाला और आंखे फोड़ दी:
आपको बता दें कि कासगंज में हुए दंगे में अपनी एक आंख खो चुके लखीमपुर खीरी के रहने वाले मोहम्मद अकरम का कासगंज से कुछ लेना देना भी नहीं है. वह ना तो कासगंज के रहने वाले थे और ना ही वो शहर में जा रहे थे. उन्होंने बताया कि, “मेरी गर्भवती पत्नी की डिलीवरी होने वाली थी इसीलिए मैं कार से कासगंज शहर से होते हुए अलीगढ़ जा रहा था कि तभी भीड़ ने कार पर हमला कर दिया”.
आगे उन्होंने बताया कि, “हाथों में हथियार लिए लोगों ने मुझे कार से बाहर खींचा और मेरी आंख निकालने की कोशिश की, किसी तरह से मैं वहां से बचकर निकला, लेकिन’ मेरी एक आंख फूट गई”. आपको बता दें कि जख्मी हालत में अकरम अलीगढ़ के अस्पताल में पहुंचे थे, जहाँ उनकी आंख का ऑपरेशन हुआ और वह अभी भी उसी अस्पताल में भर्ती हैं.
कासगंज की हिंसा की चपेट में आये नौशाद नाम के एक मजदूर की कहानी भी अकरम की तरह दर्दनाक है. बेमतलब हिंसा की चपेट में आने वाले इस आदमी के पैर में एक गोली लगी है ओर स्थानीय अस्पताल उसका इलाज चल रहा है.
नौशाद ने बताया कि, “मैं रास्ते से गुजर रहा था तभी मुझे भीड़ दिखाई दी. मुझे यह नहीं मालूम था कि आखिर हुआ क्या है. जब तक मैं जान पाता, मुझे पैर में तेज दर्द हुआ. देखा तो पैर में किसी ने गोली मार दी थी. आपको बता दें कि नौशाद अब खतरे से बाहर हैं उनका उसी अस्पताल में इलाज चल रहा है.
एक बार फिर फेल साबित हुआ प्रशासन:
मेरठमें भड़की हिंसा के मामलों को लोग भुला भी नहीं पाये थे कि, एक बार फिर पश्चिमी यूपी सुलग उठा. अबकी बार कासगंज जिले में तिरंगा यात्रा के दौरान इस कदर हिंसा बढ़ी कि इस हिंसा ने युवक की जान ले डाली ओर इसमें कई सारे लोग बुरी तरह से घायल हो गए.
युवक के अंतिम संस्कार के बाद जैसे ही धारा 144 खत्म हुई कि फिर उपद्रव बढ़ गया और बवालियों ने रोड ही नहीं जाम किया बल्कि आगजनी के अलावा सरकारी व गैर सरकारी वाहनों में जमकर तोडफ़ोड़ की.
बवाल की खबर पाकर चार जनपदों की पुलिस फोर्स के अलावा आरएएफ, सीआरपीएफ व पीएसी को बुला लिया गया, लेकिन हालात काबू होने के बजाए बढ़ता गया. नतीजतन फोर्स उपद्रवियों के आगे पिछले वर्षों की तरह एक बार फिर फेल साबित हुई.]
कासगंज में स्थिति नियंत्रण में: सिद्धार्थ नाथ सिंह
उपद्रवियों ने छीना लोगों का चैन:
यूपी में अपराधियों के खौफ के बाद आपसी रंजिश में हो रहे खून खराबे से भी लोगों का चैन छीन रहा है. साल-दर साल पश्चिमी उत्तर प्रदेश चाहे वह जनपद मेरठ, बागपद हो या फिर कासगंज जरा सी बात को लेकर लोग एक दूसरे की जान लेने पर अमादा हो जा रहे हैं.
इन बवाल के पीछे सियासी भुचाल भी पीछे नहीं इनकी भी कहीं न कहीं देन है? क्यों कि अपनी रोटी सेंकने के लिए कुछ भी कर सकते हैं? सवाल है कि अगर जनता पूरी तरह से समझ जाए, तो किसी के बीच किसी तरह की शायद दरार पैदा नहीं होगी.
वहीं यूपी में अपराधियों का मामला हो या फिर एक दूसरे के बीच रंजिश का हो. पुलिस भले ही इन पर रोक लगाने के लिए डंका पीट रही हो, लेकिन इन बवालियों व अपराधियों के आगे नाकाम साबित हो रही है.
इसका ताजा उदाहरण कासगंज में देखने को मिला बवाली बवाल काटते रहे और इस बवाल तीन परिवार का सुख चैन चला गया , वहीँ इस दौरान पुलिस नतमस्तक बनी रही, लिहाजा सेना को ही मोर्चा संभालना पड़ा.
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चार जिलों की पुलिस फिर भी हालत पर कंट्रोल नहीं:
आपको बता दें कि युवक के अंतिम संस्कार के बाद कासगंज में जैसे ही धारा 144 हटाई गई वैसे ही फिर से हिंसा भड़क गई. यहां मथुरा-बरेली हाइवे पर उपद्रवियों ने कई रोडवेज की बसों और ट्रकों में आग लगा दी.
बताया ये भी जा रहा था कि उपद्रवी पेट्रोल बम लेकर घूम रहे थे ओर पेट्रोल बम से ही आगजनी की गई. उपद्रवियों ने सड़क पर वाहनों में जमकर तोड़फोड़ की थी. लोगों में इस घटना को लेकर काफी आक्रोश है,लेकिन कासगंज के जिलाधिकारी और एसपी जिले में कानून-व्यवस्था को कायम करने में नाकाम साबित हो रहा है.
कासगंज में इस समय मथुरा, अलीगढ, हाथरस, एटा, जिला की पुलिस और आरएएफ, सीआरपीएफ, पीएसी भी तैनात है, लेकिन स्थिति पर कंट्रोल नहीं हो रहा है. आक्रोशित लोगों का कहना है कि लखनऊ से एक भी आला अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा था.
सिद्धार्थ नाथ- कासगंज में स्थिति नियंत्रण में:
बीते दिन कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह का बयान आया था. उन्होंने कहा कि कासगंज में स्थिति पहले से बेहतर है और पुलिस हालात पर काबू पाने में सफल हुई है. उन्होंने कहा कि तीसरे दिन कुछ घटनाओं को छोड़कर बाकी जगह स्थिति में सुधार रहा है और पुलिस स्थिति पर हर पल नजर बनाये हुए है. उन्होंने कहा कि पेट्रोलिंग की जा रही है और अराजक तत्वों की धर-पकड़ भी की जा रही है. सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि जो भी उपद्रव करने वाले हैं, उन्हें हिरासत में लिया जा रहा है.
ड्रोन से रखी जा रही उपद्रवियों पर नजर
तीसरे दिन सुबह कुछ घटनाओं के बाद पुलिस अब ड्रोन की मदद से शहर के दंगाईयों पर नजर रख रही है. पुलिस अधिकारियों की तरफ से लगातार बयान आ रहे हैं कि स्थिति अब नियंत्रण में है और धीरे-धीरे जनजीवन सामान्य हो जायेगा लेकिन इसमें थोड़ा वक्त लगेगा और पुलिस किसी प्रकार की लापरवाही अपने तरफ से बरतने के मुड में नहीं है. पुलिस ने ऐक्शन दिखाते हुए अब स्थिति पर काबू पा लिया है. जिले की निगरानी के लिए पुलिस ड्रोन की मदद ले रही है.