[nextpage title=”Reality of ‘Jalpari'” ]
वरिष्ठ टीवी पत्रकार और फिल्ममेकर विनोद कापड़ी ने हाल ही में कानपुर की ‘जलपरी’ कहलाने वाली श्रद्धा शुक्ला के बारे में एक चौंका देने वाला खुलासा किया है। ‘जलपरी’ के कानपुर के मैसेकर घाट से वाराणसी तक 570 किलोमीटर तैरने का दावा किया गया था, जिसके बाद वह पूरे देश भर में चर्चा का विषय बन गई थी। जलपरी की प्रतिभा को विश्वस्तर पर पहचान दिलाने के लिए विनोद कापड़ी ने एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने की सोची। डॉक्यूमेंट्री बनाने के दौरान जो सच उनके सामने आ आया, उसे देखकर वह हैरान रह गए।
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श्रद्धा गंगा में तैराकी तभी करती है जब घाट पर लोगों की भीड़ होती है, बाकी समय वह नाव पर बिताती है। यह कहना है वरिष्ठ टीवी पत्रकार और फिल्ममेकर विनोद कापड़ी का, जिन्हें Can’t Take This Shit Anymore डॉक्यूमेंट्री फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
शक्रवार को एक प्रेस मीटिंग के दौरान उन्होंने बताया कि जब उन्हें पता चला कि एक 12 साल की लड़की गंगा में प्रतिदिन 80-100 तैर रही है, तो उनके मन में उत्सुकता जाएगी कि उफनती हुई गंगा में एक विश्व स्तरीय तैराक के लिए भी 570 किलोमीटर तैर पाना नामुमकिन है, एक छोटे शहर की लड़की ऐसा कैसे कर सकती है।
उन्होंने जलपरी की प्रतिभा को पूरी दुनिया में दिखाने का निश्चय कर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने की सोची। लेकिन वहाँ पहुचंकर उन्हें निराशा हाथ लगी। वह तीन दिन तक जलपरी के इस अभियान का हिस्सा रहे।
इस दौरान उन्होंने पाया कि जलपरी का 570 किलोमीटर गंगा में तैरना एक झूठ है। जलपरी प्रतिदिन लगभग 2 से 3 किलोमीटर ही तैरती है, बाकी समय वह नाव पर बिताती है। उन्होंने अपनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म में गोताखोरों और नौका दल के सदस्यों का भी इंटरव्यू लिया है।
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