उत्तर प्रदेश की राजधानी से सटे इलाकों में पिछले कुछ दिनों में लगातार घटी लूट और डकैती की घटनाओं से लोगों में दहशत का माहौल व्याप्त हो गया है। लोग डर के मारे अपने घरों में बंद रहने को मजबूर हो गए हैं। हल्की सी आहट भी लोगों को भय से भर देती है। वहीं दूसरी ओर कासगंज में हुई सांप्रदायिक हिंसा ने भी कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिया है। ऐसा प्रतीत होने लगा है कि प्रदेश में कानून का राज समाप्त हो गया है। ये बात किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र तिवारी ने प्रदेश मुख्यालय पर आयोजित पदाधिकारियों की बैठक में व्यक्त किए।
देवेंद्र तिवारी ने कहा कि प्रदेश के मुखिया चाहे चुस्त कानून-व्यवस्था की चाहे जितनी भी दुहाई देते रहें। लेकिन हाल ही में प्रदेश की राजधानी से सटे काकोरी और मलिहाबाद में हुई लूट और डकैती की घटनाओं ने इस बात को साबित कर दिया है कि बदमाशों के अंदर से डर बिल्कुल समाप्त हो गया है। तभी वह लगातार ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं और पुलिस उनका सुराग तक भी नहीं लगा पा रही है।
वहीं कासगंज हिंसा पर बोलते हुए किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष बोले, जिस तरह से अराजक तत्व अपनी मनमानी करने पर उतारू हैं, कासगंज हिंसा उसी की एक मिसाल है। तिरंगा यात्रा निकाल रहे लोगों पर जिस तरह से अराजक तत्वों ने गोलीबारी की, वह निहायत ही निंदनीय है। अराजक तत्वों द्वारा लगातार तीन दिन तक हिंसा और आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया जाता रहा लेकिन इस पर पुलिस प्रशासन की ओर से कोई भी लगाम नहीं लगाई गई।
जब प्रदेश के राज्यपाल ने इन घटनाओं पर कड़े बोल बोले, तब कहीं जाकर मुख्यमंत्री ने गंभीरता दिखाई और वहां के एसपी पर कार्रवाई की। लेकिन इन सबके बाद और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चेतावनियों के बाद भी प्रदेश में हिंसा का माहौल थमता दिखाई नहीं दे रहा है। और सारे प्रयासों के बावजूद प्रदेश सरकार कासगंज में हालात को सामान्य करने में विफल साबित हो रही है।
वहीं दूसरी ओर किसानों के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने ने कहा, किसानों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। उनको फसलों का उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है। कर्ज माफी की घोषणा के बाद भी किसानों को कर्ज से मुक्ति नहीं मिल पा रही है। इसका जीता-जागता उदाहरण कुछ दिनों में सीतापुर में घटी घटना है। जहां पर कर्ज वसूलने के चक्कर में एक प्राइवेट कंपनी के कर्मचारियों ने किसान को उसी के ट्रैक्टर के नीचे कुचलकर मार दिया और उसका ट्रैक्टर लेकर फरार हो गए।
पहले भी केंद्र और प्रदेश सरकारें किसानों के साथ धोखबाजी करती रही हैं जिसका जीता जागता प्रमाण कर्जे माफ न होना है। किसानों को स्वामी नाथन आयोग के अनुसार, लागत मूल्य का डेढ़ गुना देने का प्रलोभन देने वाली वर्तमान भाजपा सरकारे स्वयं सिद्ध धोखेबाज हैं। विगत वर्ष का 10000 करोड़ गन्ना मूल्य तथा माननीय हाईकोर्ट द्वारा किसानों के पक्ष में बकाया ब्याज लगभग 14000 करोड़ रुपए का अब तक भुगतान नहीं हुआ है तथा सरकार देने की नीयत भी नहीं रखती है।
प्रदेश अध्यक्ष ने चेतावनी देते हुए कहा कि किसान मंच किसानों के साथ किसी भी प्रकार के धोखे को बर्दास्त नहीं करेगा और समय-समय पर इनकी खोखली योजनाओं और इनके झूठ का पर्दाफाश करता रहेगा। उन्होंने कहा, यदि किसानों को जल्द से जल्द राहत न दी गई तो राजधानी लखनऊ में किसान मंच के कार्यकर्ताओं की ओर से द्वारा विशाल प्रदर्शन किया जाएगा।