उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद का मामला देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, दिसम्बर 2017 में सुनवाई के दौरान दस्तावेजों का अनुवाद न हो पाने और मामले से जुड़े पीछे फैसलों की कापियां सुप्रीम कोर्ट में पूरी तरह मौजूद न होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी थी जो कि अब 8 फ़रवरी को जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच करेगी. इसके पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट में गरमागर्म बहस हुई थी और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने ये दलील देते हुए केस की सुनवाई को 2019 आम चुनावों के बाद जारी करने की अपील की थी और कहा था कि इससे राजनीतिक दल फायदा उठाने की कोशिश करेंगे.

8 फ़रवरी को होगी सुनवाई

देश की सर्वोच्च अदालत में राम जन्म भूमि, राम मंदिर, और बाबरी के विवादित ढाँचे का मामला विचाराधीन है. इस मामले की सुनवाई 8 फ़रवरी को होगी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई से पहले विवादित ढाँचे के सभी दस्तावेजों का अनुवाद पूरा करने का आदेश जारी किया था. इस केस की सुनवाई के लिए दस्तावेजों का अनुवाद और उनकी प्रतियाँ कोर्ट में पहुँचाना बड़ी अड़चन मानी जा रही थी.

कोर्ट के बाहर सुलह की कोशिशें हुई नाकाम

अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए श्री श्री रविशंकर सुलह की कोशिशें कर रहे थे. इसी को लेकर उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ और अन्य हिन्दू संगठन के नेताओं से लखनऊ में मुलाकात की थी. वहीँ श्री श्री रविशंकर अयोध्या में मुस्लिम पक्षकारों से मिलकर बात की थी लेकिन इस मुद्दे को लेकर बयानबाजी का दौर जारी है. श्री श्री ने स्पष्ट किया था अभी इस मामले में कोई प्रपोजल नहीं रखा गया है. उन्होंने कहा था कि दोनों पक्षों से बातचीत कर विवाद को सुलझाने की कोशिशें की जा रही है. सीएम योगी ने श्री श्री रविशंकर से मुलाकात को लेकर बयान दिया है.

सीएम योगी ने भी सुलह की कोशिशों पर दिया था बयान

सीएम योगी ने कहा था कि बातचीत की कोशिश एक अच्छी चीज हो सकती है. लेकिन बातचीत से समाधान होता तो बहुत पहले ही हो जाता है, अब शायद बहुत देर हो चुकी है. इस बयान को अब श्री श्री रविशंकर की सुलह की कोशिशों को झटके के रूप में देखा जा रहा है. वहीँ श्री श्री रविशंकर की कोशिशों से मुस्लिम पक्षकार और अयोध्या के कई महंत भी नाराज थे.

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