राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. मसूद अहमद ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार में गांव गरीब, किसान के साथ साथ नौजवान की स्थिति सोचनीय होती जा रही है। किसानों को उनकी लागत का उचित मूल्य न मिल पाना और कर्ज से बोझिल होना विशेष समस्या है। गरीब और मजदूर वर्ग अपनी रोजी रोटी और परिवार का पेट पालने के लिए विगत कई वर्षों से परेशान था।
परन्तु लगभग डेढ वर्ष पूर्व देश के प्रधानमंत्री घोषित नोटबंदी के फलस्वरूप गरीब मजदूरों की रोजी रोटी छीन ली गयी है क्योंकि लाखों छोटे कारखाने एवं उद्योग बंद हो चुके हैं। रियल स्टेट का कार्य भीषण मंहगाई के फलस्वरूप बंद पड़ा है। जिसके कारण गरीब मजदूरों को एक जून की रोटी मुश्किल से मिल पा रही है।
डाॅ. अहमद ने कहा कि उप्र के आलू किसानों की समस्या वर्ष 2017 में दयनीय हो गई है और 2018 में भी सुधरने की कोई आशा प्रदेश सरकार की अनदेखी के फलस्वरूप सम्भव नहीं हो पा रही है। विगत माह की 18 एवं 29 जनवरी को क्रमशः खंदौली आगरा एवं कोटवा रोड बाराबंकी में आयोजित आलू किसानों की महापंचायतों में इन किसानों का दर्द छलक रहा था और आलू किसानों की बर्बादी किसी भी सहृदय व्यक्ति के लिए चिंता का विषय बनी थी।
परन्तु प्रदेश की गूंगी बहरी सरकार की अनुभवहीनता और लक्ष्यहीनता के कारण किसानों का लाखों टन आलू शीतगृहों से निकालकर सड़कों पर फेंका गया था। इन पंचायतों में प्रस्ताव पास हुये कि एक सप्ताह के अन्दर आलू के लाभ की समर्थन मूल्य की घोषणा करें तथा शीतगृह भण्डारण दर वर्ष 1998 की व्यवस्थानुसार सरकार द्वारा गठित विषय विशेषज्ञों, किसान और शीतगृह स्वामी की कमेंटी में तय की जाय और शीघ्र ही इस निर्णय को अमली जामा पहनाया जाय ताकि आलू किसान अपने और अपने परिवार के भविष्य के प्रति आशावान हो सके। परन्तु सरकार ने अब तक कोई भी निर्णय किसान हित में नहीं लिया है।
रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश सरकार की अनदेखी के कारण ही दिनांक 8 फरवरी को प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सरकार की नाक के नीचे आलू किसानों एवं खेतिहर मजदूरों के साथ साथ राष्ट्रीय लोकदल के हजारों कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी अपने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी एवं राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी के नेतृत्व में धरना प्रदर्शन करके सुक्तावस्था की सरकार को जगाने का काम किया जायेगा।