उत्तर प्रदेश के हरदोई जिला में एक हाई प्रोफाइल ठगी का मामला प्रकाश में आया है। यहां एक शातिर दिमाग के फर्जी इंस्पेक्टर ने दर्जनों बेरोजगारों को दरोगा बनाने के नाम पर लाखों की ठगी को अंजाम दिया। इस मामले का खुलासा उस वक्त हुआ जब पीड़ित युवक को वर्दी तो मिल गई लेकिन उसकी जॉइनिंग ना होने से उसने इससे पर्दा उठा दिया।
आरोपी फर्जी इंस्पेक्टर ने डीआईजी और एसएसपी कानपुर के नाम पर दरोगा बनाने के लिए प्रत्येक युवक कसे 15 लाख रूपये रुपए तक की ठगी को अंजाम दिया है। बदले में दरोगा की वर्दी और पुलिस वायरलेस सेट भी दिया। ठगने वाला व्यक्ति भी फर्जी इस्पेक्टर निकला। लोगों को ठगने के बाद पूरा खेल का खुलासा हो गया। बताया जा रहा है कि अभी हाल ही में कानपुर पुलिस ने इस फर्जी स्पेक्टर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। फर्जी इंस्पेक्टर की गिरफ्तारी के बाद अब पीड़ित दर-दर भटक रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक, मामला हरदोई जिले के कासिमपुर थानाक्षेत्र के ग्राम गौरी दायमपुर का है। यहां के निवाासी गौरव जायसवाल पुत्र राजकुमार जायसवाल ने अजय सिंह नाम के एक व्यक्ति पर दरोगा बनाने के नाम पर 15 लाख रुपये ठगने का आरोप लगाया है। गौरव ने बताया कि उसके चाचा जुगुल किशोर जायसवाल की ससुराल कानपुर में है और वह पिछले दो साल से वहीं रह रहे हैं।
गौरव ने बताया कि अजय सिंह उसके चाचा का मित्र है। सितम्बर महीने में उन लोगों ने उसके घर आकर पुलिस में दरोगा बनाने की बात कही और 35 हजार रुपये ले गए। धीरे-धीरे करके वे परिवार से 15 लाख रुपये ले चुके हैं। पीड़ित ने अपर पुलिस अधीक्षक को पूरा मामला बताते हुए शिकायती पत्र दिया है।
पीड़ित ने शिकायती पत्र में कहा है कि बीते वर्ष 10 नवंबर को अजय सिंह और उसके चाचा गांव आए और उसे पुलिस की वर्दी, कैप, स्टार और वायरलस सेट दिया। उसके बाद से दोनों गायब हो गए। गौरव ने बताया कि 19 नवंबर के बाद से जब उसने अपने चाचा और अजय सिंह से संपर्क कर पैसे वापस करने की बात कही तो उसे चुप रहने और जान से मारने की धमकी दी गई, पुलिस अब मामले की जांच में लगी है।
कानपुर में गिरफ्तार हुआ फर्जी इंस्पेक्टर
बता दें कि कानपुर दक्षिण शहर में इंस्पेक्टर और दारोगा बनकर टप्पेबाजी व लूट की वारदातो को अंजाम दे रहे फर्जी इंस्पेक्टर अजय सिंह को 2 फरवरी को बाबूपुरवा पुलिस ने गिरफ्तार किया। आरोपी मूलरूप से आगरा के घटिया आजम खां चारसू गेट का रहने वाला है और शुक्लागंज मे किराये पर रह रहा था। उसके पास से इंस्पेक्टर व दारोगा की वर्दी, वायरलेस सेट, नेमप्लेट, बैज, पुलिस हेडक्वार्टर लिखा एसएसपी के नकली हस्ताक्षरयुक्त आइकार्ड, पीकैप, नकली पिस्टल बरामद हुई थी।
फर्जी इंस्पेक्टर ही था गिरोह का सरगना
अफीम कोठी निवासी टायर कंपनी प्रतिनिधि रत्नीश जायसवाल ने बैग लेकर भाग रहे युवक को पकड़कर टीपीनगर चौकी इंचार्ज मुरलीधर पांडेय को सौपा था। इसी बीच इनोवा सवार आया। अपना नाम अजय सिंह बताते हुए खुद को इंस्पेक्टर बताया। उसने चौकी इंचार्ज को फटकारने के साथ रत्नीश को भी धमकाया और अपनी इनोवा में बैठा लिया था। इसके बाद बाबूपुरवा थाने से कुछ दूर पर रत्नीश को उतारकर चला गया। बाबूपुरवा पुलिस ने पकड़े गए युवक से सख्ती से पूछताछ की तो पता लगा कि इनोवा सवार फर्जी इंस्पेक्टर ही गिरोह का सरगना था। तब पुलिस ने अजय सिंह की तलाश शुरू की। अजय शुक्लागंज गांधी नगर मे सरल अवस्थी के मकान से गिरफ्तार किया गया।
ट्रक, लोडर, ई-रिक्शा चालकों से करता था वसूली
अजय ने बताया था कि वह ट्रक, लोडर और माल ढोने वाले ई-रिक्शा चालको को पकड़कर ओवरलोडिंग के नाम पर वसूली करता था। गिरोह में किशोरों को रखकर टप्पेबाजी कराता था और पकड़े जाने पर खुद वर्दी पहनकर उन्हे पब्लिक से, थाने व चौकी से छुड़ा लेता था।
युवकों को भी ठगने का कर रहा था काम
अजय ने कचहरी के पास एक दुकान से वर्दी सिलवाई थी और आगरा की मंडी से पुलिस का वायरलेस सेट खरीदा। हालांकि बरामद हुआ वायरलेस सेट चालू हालत में नही था। पुलिस की रेडियो विभाग की टीम ने बरामद हुए सेट का नंबर नोट कर जांच शुरू की है। पुलिस के अनुसार उसके इस धंधे में मकान मालिक व खपरा मोहाल निवासी पंकज गुप्ता भी शामिल था। पंकज की ही इनोवा गाड़ी से वह आता जाता था। इसके एवज में पंकज को कमाई में हिस्सा मिलता था। यही नही कभी-कभी वाहन चेकिंग के दौरान मकान मालिक व पंकज हमराही और कारखास की भूमिका निभाते थे। हरदोई में कई युवकों से ठगी के मामले सामने आने के बाद ये साफ हो गया है कि वह वर्दी बेंचकर युवाओं को भी ठग रहा था।