राज्यपाल राम नाईक और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने बुधवार को लोक भवन में आयोजित “संस्कृत संस्थानम का सम्मान समारोह” कार्यक्रम में संस्कृत साहित्य के 95 लोगों को सम्मानित किया। इस अवसर पर तमाम नेता विधायक और मंत्री सहित सैकड़ों साहित्यकार भी उपस्थित रहे।
संस्कृत की दुर्गति के लिए संस्कृत से जुड़े लोग जिम्मेदार
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा आज संस्कृत के विद्वानों को यहां सम्मान दिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे आश्चर्य होता है जब हम संस्कृत की तुलना कुछ बोली और भाषाओं से करने लगते हैं। संस्कृत की अगर दुर्गति हुई है तो उसके लिए भी ज़िम्मेदार संस्कृत से जुड़े लोग हैं।
संस्कृत विद्यालयों ने कोई नहीं जाता पढ़ाने
सीएम ने कहा कि संस्कृत के विद्यालयों में मान्यता दी जाती है वहां कोई पढ़ाने नहीं जाता और न ही कोई पढ़ने जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा मुझे आश्चर्य है कि संस्कृत माध्यमिक परिषद का गठन सूबे में 17 साल बाद हो पाया। उन्होंने कहा कि मुझे शक है कि वो और ठीक से काम कर पायेगा।
संस्कृत की कार्यशाला अभियान के रूप में चलाई जाए
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी विद्यालय में पूरे प्रदेश में संस्कृत की कार्यशाला अभियान के रूप में चलाई जाए। संस्कृत से जुड़ी पांडुलिपियों को संग्रहित करना और फिर संस्कृत के विद्यार्थियों को शोध के लिए प्रेरित करना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत संस्थान का बजट दुगने से ज़्यादा बढ़ाया है। संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए जितने भी धन की ज़रूरत होगी हम लगाएंगे।
अमूल्य ग्रंथरत्नों का सागर है संस्कृत भाषा
इस दौरान राज्यपाल रामनाईक ने कहा कि संस्कृत भाषा का साहित्य अनेक अमूल्य ग्रंथरत्नों का सागर है। इतना समृद्ध साहित्य किसी भी दूसरी प्राचीन भाषा का नहीं है और न ही किसी अन्य भाषा की परम्परा अविच्छिन्न प्रवाह के रूप में इतने दीर्घ काल तक रहने पाई है। कार्यक्रम के दौरान भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।
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