नगरीय परिवहन व्यवस्था के नाम पर शहर में खटारा बसें दौड़ रही हैं। एक तिहाई बेड़ा तो पूरी तरह जर्जर हो चुका है। हाल यह है कि इन्वेस्टर्स समिट के दौरान कुल संख्या की करीब आधी नगर बसें सड़कों पर नहीं दौड़ पाएंगी।
इस संदर्भ में जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने सख्त निर्देश दे दिए हैं। समिट में अच्छी सेवाओं को ही संचालित करने को कहा गया है। अरसे से नगरीय परिवहन व्यवस्था खटारा बसों के सहारे ही चल रही है।
बस बेड़ा नया करने के लिए कोशिशें की गईं लेकिन नई बसों की खरीद अभी तक गति नहीं पकड़ पाई। नतीजा खटारा सेवाओं पर यात्री सफर करने को मजबूर हैं। रूट पर कहीं आग लगने की घटना सामने आयी तो कहीं ब्रेक में तकनीकी खराबी के चलते संचालन में बाधा खड़ी हुई।
और तो और नगर बसों के टायर तक फटने के मामले सामने आये। जिससे बस पलटते-पलटते बची। बावजूद इसके नगरीय परिवहन व्यवस्था दुरुस्त नहीं की गई।
दो तिहाई नगर बसें खटारा
अरसे से नगरीय परिवहन व्यवस्था खटारा बसों के सहारे ही संचालित हो रही हैं। कागजी घोड़े दौड़ने के बाद भी अभी मार्गो पर खटारा बस ही दौड़ती मिलती हैं। कहने को तो 260 नगर बसों का बेड़ा है। लेकिन इनमें से 230 बसों को अधिकारी संचालन की दृष्टि से फिट मानते हैं।
बात जब इन्वेस्टर्स समिट में संचालन की हुई तो नगरीय बेड़े में जो बस छांटी गईं वे बमुश्किल 140 ही निकलीं। यानी इन्वेस्टर्स समिट में 140 बसें ही सड़क पर नजर आएंगी।अमौसी के पास नगर निगम ने फांउटेन तैयार कराया है, जहां बिजली की रोशनी से पानी अलग-अलग रंगों में दिख रहा है।
अपर नगर आयुक्त मनोज कुमार ने बताया कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को लेकर रात दिन सफाई कराने की योजना बनाई गई है। अमौसी हवाई अड्डे से लेकर कार्यक्रम स्थल इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान समेत कई इलाकों में विशेष सफाई अभियान चलाया जाएगा।अधिकांश नगर बस आठ साल की उम्र पार कर चुकी हैं।
रखरखाव के लिये करीब चार माह से पैसा नहीं मिल पाया है। किसी तरह काम चलाया जा रहा है। पूर्व के अधिकारियों द्वारा नगरीय निदेशालय को इस बारे में सूचित भी किया जाता रहा है। जल्द ही बेड़े में इलेक्टिक बसों की बढ़ोतरी की जाएगी।
नगर बस मार्गो पर तो दौड़ रही हैं लेकिन इनके रखरखाव के लिए मिलने वाली रकम बीते चार माह से नहीं मिली है। एमडी के मुताबिक इस पूरे बेड़े पर करीब 65 लाख से अधिक का व्यय आता है। किसी तरह रखरखाव के सहारे काम चल रहा है। 260 के बेड़े में 230 बस ऑनरोड रहती ही हैं। 165 लाख से अधिक का खर्च आता है रखरखाव पर