पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत की ‘पाठशाला’ की तैयारी पूरी हो गई है. तय कार्यक्रम के अनुसार संघ प्रमुख 15 फरवरी की शाम वाराणसी पहुंचे. यह पहला मौका होगा जब संघ प्रमुख किसी संघ कार्यालय या स्कूल परिसर से इतर सरकारी भवन में अपना प्रवास पूरा करेंगे. मोहन भागवत के कार्यक्रम के मद्देनजर संघ और बीजेपी के तमाम पदाधिकारी वाराणसी के दीनदयाल ट्रेड फसिलटी सेंटर में जुटे हैं. हर साल जाड़े के मौसम में किसी प्रवास पर जाने वाले मोहन भागवत इस बार वाराणसी के दौरे पर हैं. वहीँ कांग्रेस ने इस दौरे को लेकर विरोध प्रदर्शन भी किया था.
भागवत के दौरे का तीसरा दिन
बड़ालालपुर स्थित दीनदयाल हस्तकला संकुल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 6 दिवसीय शीतकालीन शिविर की औपचारिक शुरुआत शुक्रवार से हुई. मोहन भागवत के इस प्रवास में संघ के शीर्ष नेतृत्व के लोग तमाम गंभीर विषयों पर संगठन की रणनीति पर मंथन करेंगे. इसके साथ ही इस बैठक में 2019 के लोकसभा चुनाव के संबंध में भी विमर्श किया जाएगा. अब सबकी निगाहें 18 फरवरी को होने वाले 21 हजार गणवेशधारी स्वयंसेवकों के साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत के संबोधन पर टिकी हैं. इसके अलावा उसके बाद संघ और बीजेपी के बीच बैठक होगी, जिसको लेकर हलचल शुरू हो गई है.
लोकसभा चुनाव पर रहेगी नजर
आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व वाराणसी के दौरे पर पहुंचने वाले मोहन भागवत का यह प्रवास काफी अहम माना जा रहा है. अतीत पर गौर करें तो वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भी मोहन भागवत के वाराणसी प्रवास के दौरान ही पीएम मोदी को यहां से प्रत्याशी बनाने का फैसला लिया गया था.
शीर्ष पदाधिकारियों के साथ मंथन करेंगे भागवत
सरसंघचालक 15 से 22 फरवरी आरएसएस प्रमुख वाराणसी के दौरे पर हैं और यहां 16 फरवरी से प्रतिदिन पदाधिकारियों की ‘क्लास’ ले रहे हैं. पहले दिन काशी, गोरक्ष और अवध प्रांतों के प्रतिनिधियों के रूप में संघ और उसके सहयोगी संगठन के लोग शामिल हुए.
बीजेपी से बैठक में ‘मास्टर प्लान’ बनाएगा संघ
सरसंघचालक मोहन भागवत के इस प्रवास के दौरान बीजेपी-संघ के बीच संगठन समन्वय की बैठक होगी. इस बैठक में बीजेपी की केंद्र सरकार और राज्य सरकार के कई मंत्री शामिल होंगे. संघ से जुड़े लोगों के मुताबिक लोकसभा चुनाव की रणनीति के अलावा संघ प्रमुख काशी प्रवास पर देशभर में फैले अपने 46 आनुषांगिक संगठनों के 1300 प्रतिनिधियों के साथ ग्राम विकास, कुटुम्ब प्रबोधन, गौरक्षा व सामाजिक समरसता आदि पर भी गहन मंथन करेंगे. इसके अलावा संघ कुनबे के विस्तार और दलित-अति पिछड़ों के बीच दखल बढ़ाने की रणनीति भी तय होगी.