बीते दिनों दुनिया भर के सामने आये पीएनबी महाघोटाले में हर रोज नये मोड़ आते जा रहे हैं। इसके बाद अब बैंकों से जुड़ा एक और राज दुनिया के सामने आ चुका है। लंबे समय से एनपीए की मार झेल रहे कई भारतीय बैंक अब दिवालिया होने की कगार पर आ गये हैं। ये खुलासा एक आरटीआई के द्वारा हुआ है। भारतीय बैंक अपने द्वारा दिए गये कर्ज को डूबते खातों में डाल रहे हैं। यही कारण है कि पिछले 5 साल में भारतीय बैंकों का अविश्वसनीय पैसा डूब चुका है।
आंकड़े कर देंगे हैरान :
RTI में खुलासा हुआ हुआ है कि कई भारतीय बैंक दिवालिया होने की तरफ बढ़ते जा रहे हैं। आरबीआई से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 2012 से 2017 तक पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर बैंकों ने समझौते में कुल 367765 करोड़ की रकम राइट ऑफ की है। इसमें 27 सरकारी बैंक और 22 प्राइवेट बैंक शामिल हैं। अब इन बैंकों पर दबाव इतना ज्यादा हो गया है कि ये सभी बैंक दिवालिया होने की कगार पर खड़े हो गये हैं। सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने आरबीआई में आरटीआई डाली थी। इसमें खुलासा हुआ है कि कई भारतीय बैंकों की राइट ऑफ रकम में बढ़ोत्तरी हो रही है। 2012-13 में राइट ऑफ रकम 32127 करोड़ थी से 2016-17 में बढ़कर 1,03202 करोड़ रुपए पहुंच गई है।
सरकारी बैंकों की हालत सबसे खराब :
RTI में मिले आंकड़ों से पता चला है कि सरकारी बैंकों ने प्राइवेट की तुलना में पांच गुना अधिक रकम राइट ऑफ की है। आंकड़ों में नजर डालें तो निजी क्षेत्र के बैंकों ने 64 हजार 187 करोड़ की रकम राइट ऑफ की तो सरकारी बैंकों ने इससे कई कदम आगे बढ़ते हुए 3 लाख 3 हजार 578 करोड़ की राशि को राइट ऑफ किया है। ऐसे में कोई बैंक नहीं चाहेगा कि उसकी बैलेंस शीट अन्य से खराब नजर आए। बैंकिंग सिस्टम के साथ ऐसा होना बैंक ही नहीं बल्कि देश के लिए भी बड़ा खतरा है। राइट ऑफ की रकम से आम उपभोक्ता को काफी नुकसान पहुंचता है।