जो जाति अपने इतिहास को भूल जाती है वो अपने भूगोल को सम्हाल नहीं सकती है। शिवाजी भारतमाता के ऐसे सपूत थे जिन्होंने हार कभी नहीं मानी। यह बातें योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रांगण में शिवाजी के प्रतिमा अनावरण के दौरान कही। इस दौरान मशाल लेकर महाराष्ट्र से शिवज्योत लेकर आए नौजवानों का यूपी की जनता की ओर से योगी आदित्यनाथ ने स्वागत किया। इस मौके पर राज्यपाल सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रांगण में पहुंचे थे, जहां उन्होंने शिवाजी के मूर्ति का अनावरण किया। इस दौरान अपने संबोधन में योगी ने कहा कि शिवाजी के एक भी दुर्ग पर उनका रिश्तेदार नहीं बल्कि उनका विश्वासपात्र था। ये समाज के लिए एक प्रेरणा और संदेश है। शिवाजी दुश्मनों में प्रति रणनीति की भी मिसाल थे। शिवाजी ने आगरा आकर सकुशल लौटकर इतिहास लिखा। आगरा में उन्हें औरंगजेब द्वारा नजरबंद कर दिया गया और पांच हजार सैनिकों को लगा दिया गया। कुछ दिनों बाद औरंगजेब ने शिवाजी को मारने का इरादा बनाया। जिससे पहले ही शिवाजी अपने बेजोड़ साहस और युक्ति के बल पर भागने में कामयाब हो गए। शिवाजी ने उत्तर और दक्षिण को जोड़ने का काम किया।
गुरिल्ला युद्ध शिवाजी की देन
क्षत्रपति की उपाधि लेते समय उन्होंने काशी के पुरोहितों को बुलाया था। भारत के अंदर पहला नावसेना का बेड़ा शिवाजी ने बनाया। गुरिल्ला युद्ध की शुरुआत शिवाजी की देन है, इसे शिवसूत्र के नाम भी जाना जाता था। अक्सर हम देखते हैं कि लोग हिंदुत्व से अब परहेज करते हैं। शिवाजी महाराज ने उस समय हिन्दवी स्वराज की स्थापना की। शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप, गुरुगोविंद सिंह जैसे महापुरुषों की प्रेरणा लेते रहना चाहिए। इतने लोग एक साथ केसरिया पगड़ी पहनकर लोग आए ये अद्भुत है। बाल गंगाधर तिलक के उदघोष की 101वीं जयंती यूपी में मनाई गई। लविवि में शिवाजी की प्रतिमा राज्यपाल की प्रेरणा से लगी।