2019 के लोकसभा चुनावों की इन दिनों समाजवादी पार्टी तैयारी कर रही है। इसके अलावा यूपी की 2 लोकसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में सपा ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है। सपा ने अपने प्रत्यशियों का चुनाव भी काफी मंथन के बाद किया है। मगर इस उपचुनाव के बाद होने वाले एक और चुनाव में भाजपा को बड़ी जीत मिलने वाली है और इस चुनाव में समाजवादी पार्टी सहित कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ होना तय है। 2019 के लोकसभा चुनावों के पहले सपा को इस चुनाव में हार काफी भारी पड़ सकती है।

सपा की विधानसभा में है कम ताकत :

उत्तर प्रदेश की विधानसभा में समाजवादी पार्टी के मात्र 47 विधायक हैं जिसके कारण सपा से सिर्फ 1 सदस्य चुन कर राज्य सभा जा सकता है। सपा में सभी कुछ बदल चुका है तो मुमकिन है कि जो नेता सपा से राज्य सभा जायेगा, वह निश्चित तौर पर पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की पसंद होगा और उनका करीबी होगा। अखिलेश के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से संगठन में सिर्फ उनके करीबी नेताओं को पद दिए जा रहे हैं। मुलायम और शिवपाल करीबी नेताओं को अनदेखा किया जा रहा है। प्रवक्ता से लेकर प्रदेश अध्यक्ष सभी अखिलेश यादव की पसंद के हैं। ऐसे में अखिलेश यादव चाहेंगे कि राज्य सभा जाने वाला सदस्य भी उन्हीं का करीबी हो और वही पार्टी से राज्य सभा में भेजा जाये।

 

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भाजपा जीतेगी सबसे ज्यादा सीटें :

उत्तर प्रदेश से भेजे गये 10 राज्य सभा सदस्यों का कार्यकाल आगामी अप्रैल महीने में खत्म हो रहा है। इसके अलावा चुनाव आयोग द्वारा राज्यसभा सीटों पर चुनाव की तारीख 23 मार्च निर्धारित कर दी गयी है। उत्तर प्रदेश की 10 सीटों में सबसे ज्यादा सीटें भाजपा के जीतने की काफी उम्मीदें हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश विधानसभा में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है। उसके अलावा सपा अपने कोटे से सिर्फ 1 सदस्य और कांग्रेस-बसपा-सपा मिलकर 1 सदस्य राज्य सभा भेज सकती है। ऐसे में यूपी की 10 में 8 सीटें भाजपा का जीतना तय है। 1 सीट जीतकर सपा का इस राज्य सभा चुनाव में सूपड़ा साफ़ होना तय माना जा रहा है।

 

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