अयोध्या विवाद पर सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट ने किताबों के अनुवाद के लिये वक्त देते हुए 14 मार्च तक टाल दिया था. सभी दस्तावेजों का अनुवाद न होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने वक्त देते हुए सुनवाई टाल दी थी. 2.77 एकड़ भूमि का ये विवाद राजनीतिक अखाड़े का केंद्र भी है. इसके इर्द-गिर्द देश की राजनीति घुमती रही है. इसके पहले कोर्ट ने कहा था कि 8 फरवरी के बाद सुनवाई नहीं टलेगी. सबसे पहले ओरिजनल टाइटल सूट दाखिल करने वाले दलीलें रखेंगे, फिर बाकी अर्जियों पर बात होगी. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि इसे भूमि विवाद की तरह ही देखा जाये. लेकिन कोर्ट के बाहर इस मुद्दे पर सियासत थमनें का नाम नहीं ले रही है. वहीँ इसमें वसीम रिजवी को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी नाराज है क्योंकि रिज़वी अयोध्या में राम मंदिर बनाये जाने के पक्ष में हैं.
व्यक्तिगत हमले पर वसीम रिजवी भड़के, कहा अयोध्या बाबर के बाप की नहीं
वसीम रिज़वी सुलह को लेकर कोशिशों के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं और उनका मानना है कि अयोध्या में राम मंदिर ही बने. लेकिन रिज़वी के इस स्टैंड पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बेहद नाराज है. इतना कहने के बाद रिज़वी पर आसिम वकार ने हमला बोला है और कहा कि रिजवी बताएं कि कुरान हदीस में कहाँ लिखा है कि मस्जिद हटाकर मंदिर बनायें. आसिम वकार ने व्यक्तिगत हमला बोला तो रिज़वी आग बबूला हो गए और उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद शिया वक्फ बोर्ड की है और अयोध्या बाबर के बाप की नहीं है.
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श्री श्री कहना- आस्था का सम्मान होना चाहिए
श्री श्री कल वाराणसी में कहा कि अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद पर कहा कि जिस स्थान से 100 करोड़ लोगों की आस्था जुड़ी हो उसका सम्मान होना ही चाहिए. 100 करोड़ लोगों के सम्मान से अधिक मूल्यवान जमीन का एक टुकड़ा नहीं हो सकता. इस बात से दोनों वर्ग के अधिकांश लोग तो सहमत हैं, लेकिन समाज में अब भी कुछ दुर्योधन हैं, जो एक इंच जमीन भी नहीं छोडऩा चाहते. इसके लिए वे मर-मिटने को भी तैयार हैं. जरा इतिहास उठाकर देखें, ये लोग महाभारत के दुर्योधन की ही बातें दोहरा रहे हैं. इसे न तो धर्म मानेगा, न जनता और न ही ईश्वर.यह विचार आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्रीश्री रविशंकर ने व्यक्त किए.