कभी दिल्ली, कभी गुरुग्राम, कभी कोलकाता तो कभी पुणे ऐसा लगता है मानो पूरे देश में मासूम बच्चों की सुरक्षा पर एक प्रश्नचिन्ह लग गया है। कभी किसी बच्चे के साथ स्कूल में बलात्कार होता है तो कभी उसकी हत्या कर दी जाती है। लेकिन क्यों आखिर ऐसा क्या हो गया है, जो शिक्षकों की छत्र-छाया में बच्चे सुरक्षित नहीं, बल्कि डर महसूस करने लगे हैं? गुरुग्राम के स्कूल में हुई प्रद्युम्न ठाकुर की हत्या की ख़बर पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है, वहीं अब अमेठी में सात साल के मूक-वधिर मासूम की बेरहमी से पिटाई का मामला सामने आया है। इस संबंध में अमेठी के बेसिक शिक्षा अधिकारी राजकुमार पंडित ने कहा कि मामला संज्ञान में नही है मामले को गम्भीरता से लेते हुए की जाँच कर उचित कार्रवाई की जायेगी।
जन्म से ही मूक-बधिर है कक्षा दो का ये मासूम छात्र
ये घटना अमेठी के शुकुलबाज़ार थाना अंतर्गत पाली गाँव की है जन्म से ही इस मूक-बधिर सात वर्षीय सुभाष को इतनी बर्बरता से पीटा गया है कि अब वह गम्भीर रूप से घायल होने के बाद बेहद खौफजदा है। आरोप है कि पाली गाँव के प्राथमिक पाठशाला के कक्षा दो के इस मूक बधिर मासूम को बैग फेकने को लेकर प्राइमरी पाठशाला में प्रशिक्षु ऋतुराज ने पीटा है। प्रशिक्षु इतना निर्दयी हो गया कि मार-मारकर बच्चे की पीठ ही सुजा दी। जिस वजह से मासूम पीठ के बल अब लेट भी नहीं पा रहा है।
बैग फेंकने को लेकर मासूम को बेरहमी से पीटा
बच्चे के पिता रमेश कुमार ने बताया कि जब उनका बच्चा प्राइमरी पाठशाला से घर लौटा। तब उसकी पीठ पर बहुत ही ज्यादा घाव व सूजन थी। शरीर के कुछ अंग नीले पड़ गए थे। सुभाष के साथ पढ़ने वाले एक छात्र ने बताया कि बैग फेकने को लेकर ऋतुराज सर ने उसे लकड़ी के स्केल से हाथों, सिर और पीछे बहुत मारा है।
सबसे बड़ा सवाल
हालाँकि खबर लिखे जाने तक मासूम के पिता ने इस मामले को लेकर स्थानीय थाना में कोई तहरीर नहीं दी है। लेकिन प्रशिक्षण ले रहे एक प्रशिक्षु ने बच्चे को क्यों इस तरह से मारा-पीटा ये बात अभी तक सामने नहीं आई है। वजह चाहे कोई भी और कितनी भी बड़ी क्यों न हो लेकिन क्या एक मूक एवं बधिर मासूम को इतनी बुरी तरह पीटा जाना चाहिए।