उत्तर प्रदेश के गोरखपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव की सुबह से शुरू हुई मतगणना पर आखिरकार विराम लग गया। भाजपा की जीत के सारे दावे उस वक्त खोखले साबित हुए जब समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार प्रवीण निषाद ने भाजपा प्रत्याशी उपेंद्र दत्त शुक्ला को भारी मतों से पराजित कर दिया। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी की जीत से पूरे प्रदेश के सपाइयों में खुशी की लहर दौड़ गई है। सपाई एक दूसरे को मिठाई खिलाकर ढोल नगाड़े बजाकर एक दूसरे को जीत की बधाई दे रहे हैं। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रवीण को जीत की बधाई दी है।

प्रवीण के परिवार में हैं तीन भाई

निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. संजय कुमार निषाद को 3 पुत्र और एक पुत्री हैं। पहले पुत्र डा.अमित कुमार निषाद दिल्ली में प्रेक्टिस करते हैं। वहीं प्रवीण कुमार निषाद उर्फ संतोष निषाद दूसरे पुत्र हैं। तीसरे पुत्र इंजीनियर श्रवण कुमार निषाद भी राजनीति में सक्रिय हैं। राजनीति में आने के बाद प्रवीण कुमार निषाद ने राष्ट्रीय एकता परिषद और अन्य कई संगठनों में जिम्मेदारी निभाई। 2016 में निषाद पार्टी बनने के बाद से ही प्रवीण इस प्रदेश प्रभारी की हैसियत से जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वीकार की हार

उधर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी लोकसभा उपचुनाव में पार्टी की हार स्वीकार कर ली है। सीएम योगी ने कहा कि जनता ने जो फैसला दिया है, उसे हम स्वीकार करते हैं। हमारे लिए ये परिणाम अप्रत्याशित हैं। हम लोगों ने कड़ी मेहनत की थी लेकिन कहां कमी रह गई। हम जल्द ही इसकी समीक्षा करेंगे। सीएम ने कहा मैं गोरखपुर और फूलपुर से विजयी प्रत्याशियों को बधाई देता हूं और विश्वास करता हूं कि वे जनता के लिए काम करेंगे। इस दौरान विजयी प्रत्याशियों को बधाई दी। साथ ही कहा कि प्रदेश के अंदर राजनीतिक सौदेबाजी का जो दौर शुरू हुआ है, उसे हम रोकने का हम रणनीति बनाकर प्रयास करेंगे।

प्रवीण कुमार का यह था पहला चुनाव

29 साल के प्रवीण कुमार निषाद, समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में यह चुनाव लड़ रहे थे। पिछले साल उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत हुई और आदित्यनाथ योगी को उत्तरप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया जिसके बाद गोरखपुर लोकसभा सीट खाली हो गई थी। इस सीट पर अब उप-चुनाव के नतीजे आए हैं और जो शख़्स लोकसभा में गोरखपुर की नुमाइंदगी करेगा वो भी एक युवा चेहरा ही है। इस सीट पर ख़ुद यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी थी।

 

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