पुणे के भीमा कोरेगांव में 31 दिसम्बर को सवर्णों और दलितों के बीच हुई हिंसा के बाद आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई न होने से नाराज दलितों ने आज मुंबई के छत्रपति साहूजी टर्मिनल से यलगार मोर्चा निकाला. दलित नेता प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व में निकाले गये इस मोर्चे का उद्देश्य भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोपी संभाजी भिड़े की गिरफ्तारी थी.

सरकार को दिया 8 दिन का वक्त:

हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी सुबह 11 बजे से आज़ाद मैदान में इकठ्ठा हो गये थे. दलितों को यह जुलूस छत्रपति साहूजी टर्मिनल से आजाद मैदान तक निकालना था. पर मोर्चा हंगामे में तब्दील हो गया. प्रदर्शनकारियों ने छत्रपति साहूजी टर्मिनल रेलवे के पास रास्ता जाम कर दिया.

दरअसल 29 दिसंबर को पुणे के वडू गांव में दलित जाति के गोविंद महाराज की समाधि पर हमला हुआ था, जिसका आरोप मिलिंद एकबोटे के संगठन हिंदू एकता मोर्चा पर लगा और एफआईआर दर्ज हुई. 31 दिसंबर को दलित समाज के लोग पुणे के भीमा कोरेगांव में शौर्य दिवस मनाने इकट्ठा हुए और इसी दौरान सवर्णों और दलितों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें एक शख्स की जान चली गई और फिर हिंसा बढ़ती गई.

दलितों ने 85 साल के संभाजी भिड़े के खिलाफ पुणे की पिंपरी थाने में एससी-एसटी एक्ट में केस दर्ज करवाया है. आरोप है कि उनके कारण ही भीमा कोरेगांव में हिंसा हुई.

दलित नेता प्रकाश आंबेडकर ने मांग की थी कि 26 मार्च तक संभाजी को गिरफ्तार किया जाए वरना वे अपने समर्थकों के साथ प्रदर्शन करेंगे. गिरफ्तारी ना होने के विरोध में ये यलगार मोर्चा निकाला गया था.

प्रदर्शनकारियों ने सरकार को कार्रवाई के लिए आठ दिन का वक्त दिया है.

 

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