बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच 2019 के लोकसभा चुनावों में गठबंधन का औपचारिक ऐलान हो चुका है। एक-दूसरे के कट्टर विरोधी रह चुके सपा और बसपा के नजदीक आने से भाजपा की नींदें उड़ गयी हैं। भाजपा जानती है कि सपा और बसपा मिलकर उसे तगड़ी टक्कर दे सकते हैं। यही कारण है कि भाजपा नेता अब सपा और बसपा के बीच ग़लतफहमी पैदा कर गठबंधन को तुड़वाने में लगे है। मगर इस बीच सपा और बसपा के बीच गठबंधन हो जाने से खुश भाजपा के एक बड़े नेता के सपा ज्वाइन करने की खबरें आना शुरू हो गयी हैं।
रमाकांत यादव ने उठाये सवाल :
उत्तर प्रदेश में दो सीटों के उप चुनावों में मिली करारी हार के बाद सीएम योगी के नेतृत्व पर सवाल उठना शुरू हो गया है। आजमगढ़ के पूर्व सांसद और बीजेपी नेता रमाकांत यादव ने पार्टी की हार का कारण पिछड़ों और दलितों की उपेक्षा को बताया है। रमाकांत यादव ने भाजपा को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर समय रहते भाजपा नेतृत्व सचेत नहीं हुआ तो 2019 में भी बीजेपी को करारी हार मिलेगी। रमाकांत यादव ने सीधे सीएम योगी पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पूजा-पाठ करने वाले को यूपी का मुख्यमंत्री बना दिया गया, उनके बस में अब सरकार चलाना नहीं है। पिछड़ों-दलितों को उनका हक़ मिलना चाहिए, सम्मान मिलना चाहिए मगर सीएम योगी उन्हें वो सम्मान नहीं दे रहे हैं। वे केवल एक जाति विशेष तक सीमित रह गये हैं।
सपा में हो सकते हैं शामिल :
भाजपा के बाहुबली पूर्व सांसद रमाकांत यादव पार्टी पर पिछड़ों और दलितों की उपेक्षा का आरोप लगाते रहे हैं। जैसे ही भाजपा को फूलपुर और गोरखपुर सीट पर हार मिली, रमाकांत यादव भाजपा पर और ज्यादा आक्रामक हो गए। उन्होंने हार का मुख्य कारण सीधा सीएम योगी आदित्यनाथ को बता डाला। इसके बाद रमाकांत यादव पर कई कार्यवाई की गयी जिससे उनका मोह भाजपा से भंग होता हुआ दिखाई दे रहा है। वैसे भी जब नरेश अग्रवाल जैसे भगवान राम पर सवाल उठाने वाले नेता भाजपा में जा सकते हैं तो दलितों और पिछड़ों की पैरवी करने वाले रमाकांत यादव सपा में क्यों नहीं आ सकते।