दलित आदोलन में हिंसा को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों के अलावा ब्राह्मण और वैश्य समाज के लोग भी हिंसा में दलितों के साथ थे। गाजियाबाद पुलिस की एफआईआर में तोड़फोड़ और आगजनी में दलितों के साथ वैश्य और ब्राह्मण समाज के लोगों के नाम शामिल किया गया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए फैसले को लेकर पूरे देश भर में आन्दोलन ने हिंसात्मक रूख अख्तियार कर लिया था।
पुलिस पर हमले के बाद लाठीचार्ज
यहां कंकरखेड़ा थाना क्षेत्र के शोभापुर में उग्र प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने पलटवार करते हुए घर में घुसकर लाठीचार्ज किया। पुलिस सड़कों पर उपद्रवियों को दौड़ादौड़कर पीटा। इससे पहले उपद्रवियों ने पुलिस और पत्रकारों पर पथराव कर उन्हें पीट दिया था। बताया जा रहा है कि पुलिस ने उपद्रवियों ने घरों में छिपे बैठे बावलियों को निकालकर गिरफ्तार किया। वहीं नाराज दलित समुदाय के प्रदर्शनकारियों द्वारा पुलिस चौकी में आग लगा दी थी। उपद्रवियों ने एक पेट्रोलपंप पर भी जमकर तोड़फोड़ की थी जिससे वहां भगदड़ मच गई।
ये है सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अभी हाल ही में एससी/एसटी एक्ट 1989 में सीधे गिरफ्तारी पर रोक लगाने का फैसला किया था। कोर्ट ने कहा था कि एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में तुरंत गिरफ्तारी की जगह शुरुआती जांच हो। कोर्ट ने कहा था कि केस दर्ज करने से पहले डीएसपी स्तर का अधिकारी पूरे मामले की प्रारंभिक जांच करेगा और साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि कुछ मामलों में आरोपी को अग्रिम ज़मानत भी मिल सकती है।