प्रधानमन्त्री ने गरीबों को घर उपलब्ध करवाने के लिए 2015 में प्रधानमन्त्री आवास योजना की शुरुआत की थी. चार साल होने को है और सरकार इस योजना के क्रियान्वयन में धीरे धीरे थक्का मार रही है. 9 राज्यों के 305 नगरो में घर बनने थे. इसी कड़ी में मेरठ में 40 हजार से ज्यादा के आवेदन अब कार्यालय पहुंचे है.
7 हजार में 397 आवेदन ही मान्य:
प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र सत्ता में काबिज़ होने के बाद साल 2015 में प्रधानमन्त्री आवास योजना का शुभारम्भ किया. इस योजना का उद्देश्य 2022 तक सभी को घर उपलब्ध करना है. इस के लिए सरकार 20 लाख घरो का निर्माण करवाने वाली थी. जिसमे से 18 लाख घर झुग्गी–झोपड़ी वाले इलाके में बाकि 2 लाख शहरों के गरीब इलाकों में बनाने का एलान सरकार ने किया था.
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मेरठ में दिए गए मकानों के बारे में जब UttarPradesh.Org की team ने भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेई से बात की तो उन्होंने बताया कि मकान के लिए आवेदन पत्र आ चुके है. इसमें केटगरी के आधार पर 40 हजार फॉर्म उन आवेदकों के आये है, जो सरकार से मकान लेना चाहते हैं. इसके अलावा जिनके पास जमीन है और वे सरकार के सहयोग से मकान बनवाना चाहते है उनके 7 हजार आवेदन आये है.
उन्होंने बताया कि अभी आवेदनों की जाँच चल रही है. 7 हजार आवेदन पत्रों में से सिर्फ 397 को अंतिम रूप दिया गया है. दूसरे केटगरी के 40 हजार आवेदनों की जाँच चल रही है.इसी के साथ उन्होंने बताया की जांच के बाद प्राधिकरण और आवास विकास परिषद के द्वारा आगे की कार्यवाही की जाएगी.
प्रशासन और अधिकारियों के इस योजना में इतना समय लगाने को लेकर जब हमने बाजपई जी से पूछा तो उन्होंने माना की अहिकारी समय से काम नही कर रहे. इसी लिए अभी तक सिर्फ आवेदन तक ही यह योजना पहुच पाई है.
इसके अलावा उन्होंने यह भी राय दी की 7 हजार और 40 हज़ार फार्मो की पहले एक बार समग्र जांच हो जानी चाहिए और जो इस योजना के पात्र नही है, उनके फार्म निकाल कर अलग रख देने चाहिए फिर बचे हुए फार्मो पर एक्साइज होनी चाहिए है.
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