आज संविधान निर्माता बाबा साहब भीम राम आम्बेडकर की 127वीं जयंती है. इस साल बाबा साहब की जयंती कई मायनों में ख़ास है. बाबा साहब अब सभी राजनितिक दलों के सबसे बड़े राजनीतिक ब्रैंड बन गए हैं। अगले साल होने वाले आम चुनाव और कर्नाटक विधानसभा चुनाव को देखते हुए सभी दल दलितों के मसीहा आंबेडकर की आज मनाई जा रही 127वीं जयंती के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती है।
बाबा साहब की जयंती इस बार सियासी रंग में:
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की आज 127वीं जयंती है. इस मौके पर देश भर में तमाम कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं. इस बार के बाबा साहब की जयंती को राजनीतिक मायनों में बहुत अहम माना जा रहा है. जहाँ एक ओर बसपा और सपा बाबा साहब की जयंती को महाआयोजन के रूप में मना कर अपने गठबंधन को और मजबूती दे रहे है.
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर जी की 127वीं जयंती पर बधाई देते हुये कहा कि बाबा साहेब के रास्ते पर चलकर ही समाज को शोषण मुक्त बनाया जा सकता है।
(राजेन्द्र चौधरी)
मुख्य प्रवक्ता— Samajwadi Party (@samajwadiparty) April 14, 2018
वही भाजपा भी दलितों के लिए पूजनीय आम्बेडकर की जयंती मनाने में कोई कसर नही छोड़ना चाहते है. सभी दल दलितों को रिझाने की कोशिश में लगे हैं. वहीं गृह मंत्रालय इस मौके पर किसी भी तरह की जातीय व सियासी बवाल ना हो, इसके लिए अलर्ट जारी कर चुका है.
भारतीय संविधान के शिल्पी, 'भारतरत्न' बाबा साहब डॉ. बी.आर. अम्बेडकर जी की जयंती पर उन्हें शत्-शत् नमन। pic.twitter.com/LR4tCQjCH3
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) April 14, 2018
कई शहरों में हाई अलर्ट:
बीते दिनों भारत बंद के दौरान हुई हिंसा के बाद से ही बाबा साहब की जयंती कार्यक्रम का भी हिंसक गतिविधियों के शिकार बनने की सम्भावना है. इसके अलावा भारत बंद के बाद से ही कई शहरों में आम्बेडकर जी की मूर्ति तोड़ने की भी घटनाएँ होने से भी आम्बेडकर जयंती को सुरक्षा की दृष्टि से भी अहम समझा जा रहा है. जिसके चलते प्रशासन ने कई शहरों में हाई अलर्ट जारी करने का एलान किया है. इसने पंजाब, अमृतसर, जालन्धर और फरीदकोट में सुरक्षा बढ़ाई गई है. वहीं यूपी के हापुड़ में अंबेडकर जयंती से पहले चाक-चौबंद सुरक्षा की गई और सुरक्षाबलों ने फ्लैग मार्च भी किया. वहीं अंबेडकर जयंती के अवसर पर गुजरात में दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने बीजेपी को चुनौती दी है कि वे बीजेपी नेताओं को अंबेडकर की प्रतिमा को हाथ भी नहीं लगाने देंगे.
गृह मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी:
गृह मंत्रालय राज्य सरकारों को पहले ही आम्बेडकर जयंती पर किसी भी तरह की अप्रिय घटना से निपटने के लिए एहतियाती उपाय करने का निर्देश दे चुका है. मंत्रालय ने सभी संवेदनशील इलाकों की सुरक्षा निश्चित करने के साथ पुलिस-प्रशासन को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा है.
संविधान निर्माता भीमराव रामजी आम्बेडकर की जयंती पर जातीय हिंसा की आशंका से गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को सतर्क किया है. राज्य सरकारों को एडवाइजरी जारी करते हुए गृह मंत्रालय ने अंबेडकर की मूर्तियों की भी सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है.
पीएम मोदी ने दी शुभकामनाएं:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अप्रैल की सुबह-सुबह देशवासियों को आम्बेडकर जयंती की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि बाबा साहेब ने समाज के गरीब और कमजोर तबके को आगे बढ़ने की उम्मीद दी. हमारा संविधान बनाने वाले बाबा साहेब के प्रति हम हमेशा आभारी रहेंगे.
Greetings on Ambedkar Jayanti. Pujya Babasaheb gave hope to lakhs of people belonging to the poorest and marginalised sections of society. We remain indebted to him for his efforts towards the making of our Constitution.
सभी देशवासियों को अम्बेडकर जयंती की शुभकामनाएं। जय भीम! pic.twitter.com/NZW6QsKgN0
— Narendra Modi (@narendramodi) April 14, 2018
कांग्रेस ने डॉक्टर बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया कि भारतीय संविधान के निर्माता बाबा साहेब का जीवन हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है.
Our heartfelt tributes to Dr Babasaheb Ambedkar on his birth anniversary today. The architect of the Indian Constitution, Babasaheb's life and legacy remains an inspiration for us. #AmbedkarJayanti pic.twitter.com/jNNBg2e7z0
— Congress (@INCIndia) April 14, 2018
बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उत्पीड़न से जुड़े कानून में संशोधन का फैसला दिया था, जिसे लेकर देश भर में प्रदर्शन किए गए. 2 अप्रैल को दलितों के भारत बंद प्रदर्शन के दौरान हिंसा भी छिड़ गई, जिसमें 11 लोगों की मौत हुई और सार्वजनिक संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचाया गया.
इस मामले में विपक्ष ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वो दलितों के हित में काम नहीं कर रही. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दलित विरोध के बीच केंद्र ने कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसे विपक्ष ने दबाव में उठाया कदम बताया.