लखनऊ के जैकलिन रोड स्थित सिटी मांटेसरी स्कूल के इंदिरा नगर शाखा के मकान को खाली करवाने के लिए एक परिवार कई वर्षों से संघर्षरत है। इसके लिए सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के कार्यकर्ताओं धरना प्रदर्शन कर रहे है। उनका कहना है कि डॉ. सुनील बिसेन के पिता ने 30 वर्ष पहले किराए पर मकान दिया था। जिसके बाद खाली करने के बजाय स्कूल प्रबंधक द्वारा कानूनी दांव पेंच लड़ा जा रहा है। इस विद्यालय का ध्वस्तीकरण का भी आदेश जारी हो चुका है। मौके पर पहुंची पुलिस ने उन्हें समझाने बुझाने की कोशिश की।
1982 में पिता ने दिया था किराए पर
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सिटी मांटेसरी स्कूल जयपुर रिंग रोड पर संचालित की जाती है। एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा गया है की विद्यालय जिस मकान में चलाई जा रही है वह असल में तीन भाइयों डॉ. सुनील बिसेन, संजय बिसेन, अजय बिसेन की बहन मीता बिसेन की पैतृक संपत्ति है। बताया गया है कि स्वर्गीय विश्वनाथ शरण सिंह बिसेन ने 1982 में विद्यालय के प्रबंधक जगदीश गांधी को किराए पर दी थी।
विश्वनाथ शरण बिसेन का देहावसान 1992 में हो गया, लेकिन उससे पहले ही अपने जीवन काल में किराएदारी समाप्त करके मकान खाली करवाने की न्यायिक प्रक्रिया शुरु कर दी थी। जिसके बाद से ही आज तक उनका परिवार कानूनी लड़ाई लड़ रहा है।
सीएम से की जा चुकी है शिकायत
पत्र के माध्यम से बताया गया है कि उन्हें अपना उनका किराया भी नहीं मिल पा रहा है। 1982 में स्कूल का फीस 50 रूपये प्रतिमाह था और किराया 4000 रूप्ये प्रतिमाह। आज फीस तो कई गुना बढ़ गया है, लेकिन किराया सिर्फ 5200 रूपये है और वह भी न्यायालय में जमा हो रहा है। मौजूदा समय में मुकदमा जनपद न्यायालय की अदालत में लंबित है।
आरोप लगाया गया है कि उच्च न्यायालय से दिसंबर 2015 में मामले का शीघ्र निस्तारण का आदेश पारित किया गया था, लेकिन जगदीश गांधी द्वारा कानूनी अड़चनों डालकर होने दिया जा रहा है। इस मामले में जिला मजिस्ट्रेट के यहां से एक प्रार्थना पत्र भूमाफिया कानून के अंतर्गत कार्यवाही करने हेतु दिया जा चुका है व मुख्यमंत्री के यहां भी शिकायत दर्ज कराई जा चुकी है।
ध्वस्तीकरण का आदेश है पारित
पत्र के माध्यम से मांग की है कि विद्यालय, कब्जा किए हुए भवन में नाजायज रूप से संचालित हो रहा है। अतः इसकी मान्यता समाप्त कर तत्काल इसे बंद कराया जाना चाहिए। आरोप लगाया कि सिटी मांटेसरी स्कूल इंदिरा नगर शाखा का भवन बिना अनुमति के बना है। वहीं मानचित्र स्वीकृत नहीं है। भू-उपयोग आवासीय है।
21 वर्षों से ध्वस्तीकरण के आदेश पारित हैं। विद्यालय संचालन के लिए शिक्षा विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र व राजस्व विभाग से भूमि प्रमाण पत्र भी नहीं लिया। फिर भी इंडिया काउंसिल फॉर स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन में अवैध रूप से मान्यता प्रदान की है।