केंद्र सरकार ने कॉलेजियम की सिफारिश के आधार पर वरिष्ठ अधिवक्ता इंदू मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किए जाने को मंजूरी दे दी है. वहीं, उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ की पदोन्नति रोके रखने का फैसला किया है. इसके बाद पी चिदंबरम ने ट्वीट कर केएम जोसेफ की पदोन्नति रोके रखने के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं.
इंदू मल्होत्रा वकील से सीधे जज बनने वाली पहली महिला:
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की सिफारिश मानते हुए सीनियर एडवोकेट इंदु मल्होत्रा को SC का जज नियुक्त किए जाने को मंजूरी दे दी है. इंदु सुप्रीम कोर्ट में वकील से सीधे जज बनने वाली पहली महिला होंगी. वहीं, सरकार ने जस्टिस केएम जोसेफ की पदोन्नति रोके रखने का फैसला किया है. न्यायमूर्ति जोसेफ उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं. कोलेजियम ने फरवरी में अपनी सिफारिश भेजी थी.
चीफ जस्टिस केएम जोसेफ की पदोन्नति पर रोक के बाद आज पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाये है. पी चिदंबरम ने ट्वीट करके इंदू मल्होत्रा कि नियुक्ति पर ख़ुशी भी जाहिर की.
उन्होंने ट्वीट किया कि, ‘खुश हूं कि इंदू मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगी. निराश हूं कि जस्टिस केएम जोसेफ की नियुक्ति अभी भी रोकी गई है. केएम जोसेफ की पदोन्नति आखिर क्यों रोकी गई है? क्या इसके लिए उनका राज्य, उनका धर्म या उत्तराखंड केस में उनका फैसला लेना जिम्मेदार है?’
What is holding up Justice K M Joseph's appointment? His State or his religion or his judgement in the Uttarakhand case?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) April 26, 2018
क्या है उत्तराखंड केस:
गौरतलब है कि, 21 मार्च 2016 को चीफ जस्टिस केएम जोसेफ की खंडपीठ ने उत्तराखंड में केंद्र के राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को पलट दिया था. इसके वजह से हरीश रावत एक बार फिर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बन गए थे. जस्टिस जोसेफ और जस्टिस वीके बिष्ट की बेंच ने अपने फैसले में कहा था, ‘केंद्र की ओर से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्धारित नियम के खिलाफ है।’ इसके साथ ही जस्टिस जोसेफ ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी. पी. चिदंबरम इसी केस का जिक्र कर रहे हैं.