भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी उत्तर प्रदेश के गांवों में रात बिताकर लोगों से संवाद करेंगे और उन्हें पार्टी के साथ लामबंद करने की कोशिश करेंगे। इस दौरान वे गांव के किसी दलित या अति पिछड़े के घर भोजन भी करेंगे। शाह के कार्यक्रम की तारीखें हालांकि अभी तय नहीं हैं लेकिन जल्द ही उनके कार्यक्रमों को अंतिम रूप मिल जाने की संभावना है। भाजपा के अन्य शीर्ष नेता भी प्रदेश के गांवों में रात्रि प्रवास करेंगे। भाजपा की इस तैयारी को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यूपी की ताजा चुनौतियों से जोड़कर देखा जा रहा है।
हालांकि ग्राम स्वराज अभियान के तहत भाजपा सरकार के मंत्री, सांसद, विधायक, पार्टी पदाधिकारी और अन्य प्रमुख लोग गांवों में रात्रि प्रवास कर रहे हैं। पर, रणनीतिकारों ने दूसरे चरण में बड़े चेहरों को उतारकर लोगों के बीच पकड़ व पहुंच बनाने की तैयारी की है। उनका मानना है कि यूपी में पिछड़ों व दलितों के साथ गरीबों को जोड़कर अगर भाजपा के समर्थन का माहौल बना लिया गया तो 2019 की चुनौतियों से पार पाना काफी आसान हो जाएगा।
जानकारी के मुताबिक, भाजपा की कोशिश प्रत्येक क्षेत्र में दो-दो स्थानों पर शाह के कार्यक्रम कराने की है। इसमें भी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए कमजोर रहे इलाकों को केंद्रित कर कार्यक्रम तय किए जाएंगे। चुनावी लिहाज से कमजोर रहे बूथों पर भी फोकस करने का फैसला किया गया है। उम्मीद है कि कर्नाटक चुनाव के बाद शाह यूपी पर अधिक ध्यान देंगे। दरअसल गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में मिली पराजय तथा सपा व बसपा के बीच तय हो चुके गठबंधन ने भाजपा की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
कुछ तात्कालिक घटनाओं और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों को लेकर कई संगठनों ने जिस तरह दलितों को भाजपा से दूर करने की कोशिश की, उससे भी रणनीतिकारों की चिंता बढ़ी हुई है। उन्हें लग रहा है कि जातीय समीकरण दुरुस्त करके वोटों का गणित ठीक न किया गया तो नुकसान हो सकता है। भगवा टोली किसी भी कीमत पर यूपी को सहेजकर अपने साथ रखना चाहती है ताकि मिशन 2019 में सफलता मिलने में कोई संदेह न रहे। लोकसभा चुनाव की चुनौतियों को देखते हुए ही पिछले वर्ष शाह ने मिशन यादव-जाटव जोड़ो अभियान शुरू कराया था। अब ग्राम स्वराज अभियान के जरिये उसे आगे बढ़ाया जा रहा है।