कर्नाटक में 12 मई को विधानसभा चुनाव होने हैं. इससे पहले मोदी सरकार ने एक मास्टरस्ट्रोक चला है. अपने इस मास्टरस्ट्रोक के तहत तत्काल तीन तलाक बिल के संसद में अटके रहने को देखते हुए अब सरकार इस पर रोक लगाने के लिए अध्यादेश ला रही है.
कर्नाटक चुनाव से पहले चला मास्टरस्ट्रोक:
केंद्र सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से आजादी दिलाने की ठान ली है. मोदी सरकार तीन तलाक बिल के संसद में अटके रहने को देखते हुए अब इस पर रोक लगाने के लिए अध्यादेश ला रही है. अध्यादेश लाने की पूरी तैयारी हो चुकी है. हालांकि अभी तक इसका समय तय नहीं किया गया है. बुधवार को ही केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस मसले पर विचार होना था, लेकिन किसी कारण यह टल गया था.
बता दें कि लोकसभा से पारित होने के बाद यह बिल राज्यसभा में लंबित है. दरअसल, विपक्ष इसमें कुछ संशोधन चाहता है. इसे देखते हुए सरकार ने इस पर अध्यादेश लाने की तैयारी पूरी कर ली है. माना जा रहा है कि अध्यादेश में वही प्रावधान होंगे जो कि प्रस्तावित कानून और लोकसभा से पास हो चुके विधेयक में हैं.
होगी तीन साल की सज़ा :
तीन तलाक गैर जमानती अपराध होगा और उसमें दोषी को तीन साल तक के कारावास की सजा हो सकेगी. अपराध गैर जमानती और संज्ञेय होगा. इसके अलावा तीन तलाक से पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट की अदालत में गुजारा-भत्ता और नाबालिग बच्चों की कस्टडी की मांग कर सकती है.
गौरतलब है कि तीन तलाक विधेयक लोकसभा से पारित हो चुका है। यह राज्यसभा में लंबित है। राज्यसभा में इस विधेयक पर समर्थन नहीं मिलने के बाद मोदी सरकार ने अध्यादेश लाने की तैयारी में है। वहीं मोदी सरकार के तीन तलाक के खिलाफ तेवर सख्त हैं और इसे अपनी प्रतिष्ठा का सबब बना लिया है। तीन तलाक को जुर्म घोषित कर इसके लिए सजा मुकर्रर करने संबंधी बिल को कानूनी अमली जामा पहनाने के लिए अगर विपक्षी दलों के रवैये में बदलाव नहीं आता है तो मोदी सरकार अध्यादेश लाने का दांव चल सकती है।