डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य आज कानपुर पहुंचे. जहाँ उनका एक अलग ही रंग देखने को मिला. जनसभाएं कर जनता की समस्याएं सुनने के लिए गाँव गाँव जाकर चौपाल लगाने वाले डिप्टी सीएम के सामने अपनी समस्या लेकर एक बेटी पहुंची, तो उपमुख्यमंत्री ने उसकी बात अनसुनी कर दी. 

आज कानपुर पहुंचे थे डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य:

जहाँ एक ओर सीएम योगी ग्रामीणों से सीधा संवाद करने को लेकर खुद गाँव गाँव में रात्रि प्रवास कर रहे हैं, वहीं सरकार के सभी मंत्रियों, विधायकों और सांसदों को भी यहीं निर्देश दिए गये हैं कि ग्रामीणों से मिल कर उनकी समस्याएं सुने और उनसे जुड़ने की कोशिश करें.
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या भी इसी राह में कदम बढ़ा रहे हैं. डिप्टी सीएम आये दिन कई जिलों के गाँवों के दौरे पर जाकर जन समस्याएं सुनते हैं.
आज डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य कानपुर पहुंचे. जहाँ उनका दूसरा ही रंग देखने को मिला. जनता की समस्याएं सुनने पहुंचे डिप्टी सीएम ने फरियाद लेकर आई एक बेटी को फटकार कर भगा दिया.

पिता शहीद और भाई आर्मी में, पर दर दर की ठोकरे खा रही रीना:

बता दे कि पीड़िता के शहीद पिता की जमीन पर सपा नेता ने कब्जा कर रखा है. पीड़िता रीना यादव का भाई भी आर्मी में फौजी है.
आर्मी के परिवार की हर सम्भव मदद करने वाली बीजेपी सरकार एक कारगिल शहीद की बेटी और आर्मी में फौजी की बहन को इंसाफ नहीं दिला पा रही. रीना अधिकारी से लेकर सांसद, विधायकों के दरवाजे खटखटा चुकी है. पर सारे अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर काटने के बाद आज मदद के लिए डिप्टी सीएम केशव मौर्या के पास पहुची.
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लेकिन मदद करने की बजाय डिप्टी सीएम ने रीना यादव को पीछे हटने की सलाह देकर कागज लेकर दिखवा लेने का आश्वासन दे कर चले गए.

सपा नेता ने कर रखा है शहीद की जमीन पर कब्जा:

वही कानपुर देहात के भोगनीपुर में बिहार गांव की रहने वाली रीना यादव का कहना है, कि मेरी जमीन सुरेश चन्द्र यादव जो की हिस्ट्रीशीटर भी है, ने 2014 में अपने कब्जे में ले ली थी.
रीना ने बताया, “2014 से लेकर आज तक मैं दर बदर की ठोकरे खा रही हूँ, लेकिन कोई भी सुनवाई कही नहीं हो रही.”
रीना को आशा थी कि बीजेपी सरकार जो आर्मी के परिवार वालो की मदद के दावे करती है, वह न्याय दिलवायेंगी.
इसी के चलते वह केशव मौर्या से मिलने आयी थी. लेकिन सही से मिलना छोड़ो, उसे दूर हटने की सलाह दे दी.
अब ऐसे में रीना यादव पूरी तरह टूट गयी है.
उसका कहना है, ‘अगर जल्द ही मुझे इंसाफ न मिला तो मैं आत्महत्या कर लूगी.”
अब देखने वाली बात यह होगी की आर्मी के परिवार की मदत करने वाली बीजेपी सरकार रीना यादव की मदद के लिए आगे आती है या उसे आत्महत्या करने के लिए ऐसे ही दर बदर की ठोकरे खाने देती है.

आरपीएफ के सिपाही की भी नहीं सुनी समस्या:

ये एक मामला नहीं जिसमें डिप्टी सीएम केशव प्रसाद की यह बेरुखी देखने को मिली.
एक आरपीएफ सिपाही अपनी समस्या लेकर फिरोज़बाद से डिप्टी सीएम से मिलने पहुंचा था, पर डिप्टी सीएम ने उससे भीं मिलने से मना कर दिया. जिसके बाद फरियादी सिपाही वहां से भरे मन लौट गया.
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