जिनकी निगाहें कर्नाटक के नतीजों पर थीं वह सुबह 6 बजे से ही ख़बरों की दुनिया से जुड़ गए थे. टी-20 क्रिकेट मैच के दीवाने भारतीयों को भरोसा था कि 3 घंटे में सब कुछ क्लियर हो जाएगा. हो भी गया था, जब ये लगभग तय हो गया कि कर्नाटक ने भाजपा के स्वागत में अपने द्वार खोल दिए हैं.

कर्नाटक चुनाव नतीजे:

भाजपा के खेमे में जीत का माहौल है, होना भी चाहिए. भाजपा ने कांग्रेस-मुक्त भारत की अपनी मुहीम में एक और राज्य को जीता है. एक समय था जब टीवी स्क्रीन पर उनका स्कोर 120-22 के पास चल रहा था. लेकिन अचानक टी-20 वन-डे में बदलने लगा, स्कोर में परिवर्तन होने लगा. आभास हो गया कि नतीजे के लिए तोडा और समय की दरकार होगी. पर चूँकि कर्नाटक से लगातार आ रही ख़बरों में दर्शक फंस चुके थे इसलिए सब टीवी, व्हाट्सएप्प और ट्वीटर के स्टेडियम में बैठे रहे.

4 बजे तक भाजपा के उत्साह में थोड़ी कमी आने लगी. उन्हें सिंगल लार्जेस्ट पार्टी का श्रेय तो मिल ही चुका था मगर सरकार कौन बनाएगा इसपर इसपर विराम लग गया. कांग्रेस ने अपने स्कोर को ठीक करते हुए 77-78 के आंकड़े पर आ गयी, उधर जनतादल (सेक्युलर) भी 38 सीटों की उम्मीद के साथ नतीजों के बाद के दावों में उतरने लगी.

भाजपा ने बनाया कर्नाटक चुनाव मजेदार:

याद कीजिये तो बिहार चुनावों में भी ऐसा ही हुआ था जब पहले राउंड की मतगणना में जीत के करीब पहुँच गयी थी. हम दिल्ली के जिस स्टूडियो में चर्चा में भाग ले रहे थे, वहां तो हमारे साथ बैठे भाजपा के एक नेता ने कैमरे के सामने ही मिठाई का डिब्बा तक खोल दिया था, लेकिन फिर हुआ क्या, लालू नितीश के महागठबंधन ने भाजपा की साड़ी उम्मीदों पर पानी फेरते हुए बहुमत हासिल कर लिया था.

यहाँ भी कुछ वैसा ही नज़ारा था लेकिन इतना बुरा भी नहीं. मोदी का करिश्मा बरकरार है. कांग्रेस वोट शेयर में भाजपा से ज्यादा बढ़त लेकर और 77 सीट के साथ मैदान में है और उसने सारकार बनाने के लिए जद(स) को समर्थन देकर भाजपा के खेमे में बेचैनी पैदा कर दी है. कुमारस्वामी को अचानक मुख्यमंत्री की सीट मिलती हुई नज़र आ रही है.

कोई जीता नहीं कोई हारा नहीं. इसे यूँ भी समझा जा सकता है कि चुनाव विश्लेषकों ने कर्नाटक को 6 भागों में बांटा था. सेंट्रल कर्नाटक, मुंबई कर्नाटक, कोस्टल कर्नाटक, बंगालूरू, ओल्ड मैसूर तथा हैदराबाद कर्नाटक. अब इसे देखें तो पहले तीन क्षेत्र वह हैं जिनमें भाजपा अपना परचम लहराते हुए इन 104 सीटों में से 73 को अपने कब्जे में करती हुई नजर आ रही है. यहाँ कांग्रेस को 31 और जद(स) को महज 02 सीटों से संतोष करना पड़ेगा.

सबसे बड़ी पार्टी बन कर भी नहीं जीती भाजपा:

बाकी का क्षेत्र यानी बंगालूरू, ओल्ड मैसूर तथा हैदराबाद कर्नाटक की 79 सीटों में कांग्रेस 47, भाजपा 32 और जद(स) 36 सीटें पाती नज़र आ रही है. यह विश्लेषण लिखने तक, अभी भी 31 सीटों पर परिणाम घोषित होना बाकी है लेकिन पूरी तस्वीर में अब किसी बड़े बदलाव की उम्मीद न के बराबर है.

अब सरकार किसकी बनती है यह कर्नाटक की जनता के लिए ही खोने-पाने जैसा है लेकिन देश की सियासत में कर्नाटक ने जो संकेत दिए हैं वह मिले-जुले हैं.

कुलमिलाकर जिस कर्नाटक को 2019 के संकेतों का चुनाव समझा जा रहा था अगर उसे सही माना जाए तो क्या 19 में भी कुछ ऐसा ही होने वाला है जहाँ भाजपा, कांग्रेस और बाकी क्षत्रपों का का दल कुछ ऐसे ही आंकड़ों के साथ सामने आएगा.

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