कर्नाटक में बुधवार को मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में मंच पर नजर आयी विपक्ष के शीर्ष नेताओं की एकजुटता की पहली परीक्षा कैराना संसदीय व नूरपुर विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनाव में होगी। भाजपा के विरोध में रालोद व सपा गठबंधन को समर्थन देने का निर्णय कांग्रेस ने स्थानीय स्तर पर लिया है लेकिन प्रदेशस्तरीय वरिष्ठ नेता सीधे सामने आने से बच रहे हैं। वहीं, बसपा प्रमुख मायावती ने अभी पत्ते नहीं खोले है जबकि गोरखपुर व फूलपुर संसदीय क्षेत्रों में बसपा के स्थानीय नेताओं को सक्रिय कर दिया गया था।
बुधवार को देर शाम लखनऊ पहुंचीं बसपा प्रमुख मायावती से उम्मीद लगी थी कि वह गुरुवार को कैराना व नूरपुर उपचुनाव को लेकर कोई अहम फैसला कर सकती हैं। मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के शपथग्रहण समारोह के बाद बसपा और सपा की ओर से गठबंधन को ले कर जो तेजी दिखायी गई थी, उसका प्रभाव नहीं दिखा। बसपा व सपा की ओर से ट्वीट करके विपक्षी एकजुटता को सराहा गया था। बसपा की ओर से किये गए ट्वीट में अखिलेश व मायावती का एक मंच पर आना भारतीय राजनीति में ऐतिहासिक मुकाम बताया गया है। एकजुटता के इस अभियान के गुरुवार को एक कदम आगे बढ़ने की उम्मीद जतायी जा रही थी।
समाजवादी व राष्ट्रीय लोकदल के नेताओं को भरोसा था कि मायावती कैराना व नूरपुर उपचुनाव में भाजपा को हराने के लिए अपने पार्टी कार्यकर्ताओं का आह्वान कर सकती है लेकिन अब तब ऐसा नहीं हो सका है। से दूर रहने वाली बसपा ने गोरखपुर और फूलपुर के उपचुनाव में पहली बार सपा उम्मीदवारों के पक्ष में अपने स्थानीय कार्यकर्ताओं को जुटने के लिए कहा था।
विपक्ष की एकजुटता में वोटबैंक के समीकरण के अलावा वर्ष 2022 का विधानसभा चुनाव भी बड़ा सवाल बनेगा। प्रधानमंत्री पद की दावेदारी पर सपा की ओर से छेड़े गए विवाद को लेकर कांग्रेस का एक बड़ा खेमा नाराज है। अल्पसंख्यक वर्ग के एक पूर्व विधायक का कहना है कि कांग्रेस के लिए बसपा से गठजोड़ करना लाभदायक रहेगा क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में सपा से दोस्ती करना भारी पड़ा था। कर्नाटक में शपथग्रहण समारोह में सोनिया गांधी और मायावती के बीच नजदीकी सबका ध्यान खींचने में सफल रही थी। माना जा रहा है कि बसपा प्रमुख मायावती शनिवार 26 मई को प्रस्तावित बैठक में अहम फैसला ले सकती हैं।
गौरतलब गई कि कर्नाटक के बाद अब सबकी नज़रें कैराना के लोकसभा उप चुनाव पर हैं, जहां बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता की अग्नि परीक्षा होगी। यूपी की इस लोकसभा सीट पर बीजेपी की मृगांका सिंह और राष्ट्रीय लोक दल के तबस्सुम हसन में कांटे की टक्कर है। बीजेपी सांसद हुकुम सिंह की मौत के बाद यहां चुनाव हो रहा है। 28 मई को वोटिंग होगी और 31 तारीख को नतीजे आएंगे।