नीट पीजी काउंसिलिंग-2018 में मेडिकल व डेंटल कोर्स की सिक्योरिटी फीस समान कर दी गई है। ऐसे में एमडीएस पाठ्यक्रम में दाखिला लेने वाले समान्य छात्रों को काउंसिलिंग में हिस्सा लेने में भी पसीना छूट रहा है। आलम यह है कि निजी कॉलेज की जहां वार्षिक फीस दो लाख के आस-पास है, वहीं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सिक्योरिटी फीस ही छह लाख तय कर दी है। एमडीएस की मॉप-अप राउंड की काउंसलिंग शुक्रवार को केजीएमयू के कलाम सेंटर में हो रही है। इसके लिए अभी 40 सीटें शेष हैं। ऐसे में अभ्यर्थियों का इन सीटों का आवंटन किया जाना है।
छात्रों का कहना है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग ने काउंसिलिंग में पंजीकरण शुल्क एक हजार रुपये रखा है। वहीं इसकी सिक्योरिटी फीस सरकारी में 30 हजार, वहीं निजी कॉलेज में काउंसलिंग के लिए दो लाख रुपये तय किए हैं। इसके अलावा कॉलेज की सीट आवंटित होने पर चार लाख रुपये की सिक्योरिटी और जमा करनी होगी।
अभ्यर्थियों का कहना है कि मेडिकल कोर्स एमएस-एमडी के लिए सिक्योरिटी फीस छह लाख तय करना ठीक है, कारण इन कोर्सो में दाखिला लेने वाले छात्र पैसे वाले परिवार से होते हैं। कारण इसके लिए वह एक वर्ष में 40 लाख से 60 लाख तक कॉलेजों का शुल्क अदा करते हैं। वहीं डेंटल कोर्स के कॉलेज का शुल्क ही डेढ़ से ढाई लाख रुपये है,ऐसे में सामान्य परिवार के छात्रों को छह लाख सिक्योरिटी फीस जुटा पाना मुश्किल हो रहा है।
इस संबंध में महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. केके गुप्ता ने बताया कि एनआइसी के सिस्टम पर पूरी काउंसिलिंग होती है। ऐसे में अलग-अलग सिक्योरिटी फीस का पैटर्न सिस्टम स्वीकार नहीं करता है। मजबूरी में मेडिकल व डेंटल कोर्स की सिक्योरिटी फीस समान करनी पड़ी।