उत्तर प्रदेश का बिजनौर जिला इस समय पानी की किल्लत से जूझ रहा है। यहां दर्जनों गांव में लगे सैकड़ो सरकारी नलकूप सूख गए हैं। भले ही जिले के सबसे बड़े आका के सामने आने वाले कागजों पर पेयजल जिले के सभी गांवों व मजरों में सकुशल पहुंच रहा हो, पर सच्चाई इससे कहीं अलग है। दर्जनों गांवों में पेयजल को लेकर हालात खराब हो चुकी है, जबकि कई मजरे भी पानी के लिए व्याकुल हो उठे हैं। ग्रामीण खेतों में लंबी लाइन लगाकर कुँए से पानी भरने को मजबूर हैं। इस संबंध में बिजनौर जिलाधिकारी अटल कुमार राय का कहना है कि पेयजल की समस्या के लिए प्रशासन गंभीर और मुस्तैद है। उन्हें इस बाद की अभी जानकारी मिली है मौके पर प्रशासनिक अधिकारियों को भेजा गया है। हैंडपम्पों को दुरस्त कराने का काम तेजी से किया जायेगा।
गांवों में ग्रामीण पेयजल योजना फेल
जिला के बढ़ापुर थाना क्षेत्र के जलालपुर, कायमनगर, देगा राजपुर, भरतपुर, मिट्ठापुर, टांडा, गढ़ी, तेमरवाला, नकीपुर,सहित दर्जनों गांवों के हजरों लोग जल संकट से जूझ रहे हैं। यहां पेयजल को हालात बहुत गंभीर हो चले हैं। एक-एक बूंद के लिए बाल्टी व लाठी का युद्ध प्रारंभ हो चुका है। गांवों में पानी के लिए टैंकर नहीं पहुँच रहे हैं, एक एक बाल्टी के लिए झगड़े होना आम बात है। गांवों में ग्रामीण पेयजल योजना के फेल होने की तस्वीर वह महिलाएं दिखा रही हैं जो दिन भर केवल दो बाल्टी पानी के लिए कठोर श्रम कर रही हैं। गांव के बाहर खेतों में कुएं हैं इनमें ग्रामीण पानी निकालने को मजबूर हैं। पानी निकालने के बाद उसे छानकर पीने लायक बनाने का काम ग्रामीण कर रहे हैं।
हैंडपंपों का पानी चला गया पाताल
इन गांवों की हालत तो इसी बात से स्पष्ट हो जाती है कि विशाल जल राशि वाले शहर के तालाब सूख चुके हैं। जिसके चलते शहर के तमाम हैंडपम्पों ने जवाब दे दिया। हाल यह है कि अभी विभाग गांवों के सैकड़ों हैंडपम्प सूखे होने से ग्रामीण बेहाल हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इनमें से कई के तो पाइप ही खराब हो चुके हैं और तो और ज्यादा हैंडपम्प लाइलाज हो चुके हैं। कहीं पूर्ण रूप से तो कहीं पर आंशिक तौर पर दिक्कत है। नलकूपों का पानी पाताल चला गया।