गोरखपुर और फूलपुर के लोकसभा उपचुनावों में एकजुट होकर बीजेपी को हराने के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती कर्नाटक में विपक्षी एकजुटता दिखाने के मकसद से साथ खड़े दिखाई दिए। लेकिन 28 मई को यूपी की कैराना लोकसभा उपचुनाव के लिए इनमें से किसी नेता ने प्रचार नहीं किया। इस बीच उपचुनाव के लिए मतदान शुरू होने के पहले ही सपा खेमे के सबसे बड़े नेता ने भाजपा ज्वाइन करके सभी को हैरान कर दिया है।
रालोद से तबस्सुम हसन लड़ रही चुनाव :
बसपा सुप्रीमों मायावती ने घोषणा करते हुआ कहा था कि उनका कोई प्रत्याशी उपचुनाव के मैदान में नहीं उतरेगा लेकिन गोरखपुर और फूलपुर चुनावों में सपा-बसपा तालमेल के रुख से स्पष्ट हो गया है कि आने वाले चुनावों में विपक्षी प्रत्याशी के प्रति ही पार्टी का समर्थन रहेगा। सपा के समर्थन से अजित सिंह की पार्टी रालोद ने साझा प्रत्याशी के रूप में तबस्सुम हसन को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने भी इनको अपना समर्थन दिया हुआ है। लेकिन फिर भी तबस्सुम हसन के प्रचार अभियान में कोई भी बड़ा नेता नहीं दिया दिया। पूरे प्रचार अभियान की कमान रालोद के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी और राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह ने संभाली हुई थी।
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चेयरमैन ने ज्वाइन की भाजपा :
झिंझाना चेयरमैन नौशाद कुरैशी ने लम्बी चर्चाओं के बीच आखिरकार भाजपा का दामन थाम लिया है। चेयरमैन शुरू से तबस्सुम हसन के विरोधी गुट कँवर हसन के करीबी माने जाते थे लेकिन कंवर हसन बीच में मैदान छोड़ गए और रालोद में शामिल हो गए। इसके कारण नौशाद कुरैशी के सामने कोई रास्ता नहीं बचा और आखिरकार उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया। बीती रात करीब 11 बजे भाजपा प्रत्याशी मृगांका सिंह अपने काफिले के साथ चेयरमैन नौशाद कुरैशी के आवास पर पहुंचीं। यहाँ पर पहले से सैकड़ों की तादाद में नौशाद कुरैशी के समर्थक मौजूद थे। भाजपा की जीत दिलाने के लिए नौशाद कुरैशी ने मृगांका सिंह को समर्थन दिया। मृगांका सिंह ने ही उन्हें भाजपा की सदस्यता दिलाई। चेयरमैन ने कहा कि भाजपा में सबका हित समाहित है। सबका साथ सबका विकास के नारे पर भाजपा कार्य कर रही है।