2019 के लोकसभा चुनावों के लिए समाजवादी पार्टी ने तैयारी शुरू कर दी है। कैराना और नूरपुर में हुए उपचुनावों में जीत से सपा में नया जोश आ गया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी पदाधिकारियों संग बैठक कर चुनावी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। इस बीच अखिलेश और मुलायम सिंह यादव की सपा सरकार में मंत्री रह चुके पार्टी के वरिष्ट नेता ने अपनी ही पार्टी के जिलाध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है जिससे सियासी गलियारों में नए समीकरण बनते दिखाई दे रहे हैं।
पूर्व मंत्री ने खोला मोर्चा :
देवरिया के जिला पंचायत अध्यक्ष प्रकरण में समाजवादी पार्टी की जिला इकाई में भूचाल आ गया है। सपा के वरिष्ठ नेता व मुलायम और अखिलेश की सरकार में मंत्री रहे शाकिर अली ने पार्टी के जिलाध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। देवरिया जिले के 6 पुराने कद्दावर नेताओं के साथ सामने आए पूर्व मंत्री ने पार्टी जिलाध्यक्ष राम इकबाल यादव पर भाजपा के साथ सांठगांठ होने का आरोप लगा दिया। जिला मुख्यालय के एक होटल में पार्टी के आधा दर्जन नेताओं के साथ पत्रकारों से पूर्व मंत्री ने बात की। पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया कि सपा के जिलाध्यक्ष भाजपा के साथ मिल गए हैं। वे बीजेपी के साथ मिलकर जिला पंचायत अध्यक्ष रामप्रवेश यादव के खिलाफ अविश्वास लाने का प्रस्ताव काम किया है। पूर्व मंत्री ने कहा कि नियमों को दरकिनार कर अविश्वास की नोटिस को जिलाधिकारी ने स्वीकार किया है।
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जिला अध्यक्ष पर लगाया आरोप :
पूर्व मंत्री ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि पिछले एक महीने से खुले तौर पर पूरा घटनाक्रम चल रहा है लेकिन पार्टी के जिलाध्यक्ष की तरफ से घटना की निन्दा करना तो दूर एक साधारण प्रेस नोट भी जारी नहीं किया गया। समाजवादी पार्टी के जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था जिसे जिलाधिकारी ने नियमों को दरकिनार कर स्वीकार कर लिया। उन्होंने पार्टी जिलाध्यक्ष पर भाजपा से मिलीभगत कर इसमें शामिल होने का आरोप लगाया। इस मुद्दे पर सपा के बड़े नेताओं ने चुप्पी साधी हुई है। वे इस मामले में खुले तौर पर कुछ भी कहने से बाख रहे हैं।