समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पूर्व सीएम के तौर पर आवंटित बंगले (4, विक्रमादित्य मार्ग) का ज्यादातर सामान शुक्रवार को शिफ्ट कर दिया है। इस दौरान उन्होंने अपने लिए बनवाया जिम पूरा तुड़वा दिया और बाहर से लाकर लगाए गए खिड़कियों के शीशे भी निकलवा दिए। अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव ने भी अपने घर में रखे गमले बाहर भिजवा दिए। इसके बाद रविवार की सुबह वे अचानक गोमती रिवरफ्रंट पहुंचे और वहां पर जनता के बीच समय बिताया। इसके बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अलीगंज के ललित कला केंद्र में आयोजित एक कार्यक्रम के लिए पहुंचे।
ललित कला केंद्र पहुंचे अखिलेश यादव :
लखनऊ में अलीगंज स्थित ललित कला केंद्र में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पहुंचे हुए थे। इस दौरान उन्होंने बयान दिया कि कलाकार समाज का असली दर्पण होता है। कलाकार अपनी कला में वो दिखता है जो कहीं नहीं दिखता है। जिन देशों ने कला और कलाकारों को सम्मान दिया, वो देश आज बहुत आगे निकल चुके हैं। इन कलाकारों की कला अभी दिख रही हमारी कला 2022 में दिखेगी। हमारा गाँव सैफई है लेकिन जब से लखनऊ आए, ये शहर भी अपना लगने लगा है।
समाजवादी लोग कला को बचाने का काम करेंगे। हमने मेट्रो का उद्घोषण उर्दू में कराने का फैसला लिया था। नदी का किनारा हमने अच्छा बनाया था, आज सुबह गया था तो देखा कि सरकार के लोगों ने उसे बर्बाद कर दिया है। लखनऊ जैसा शहर देश में नहीं जहां कल्चर फ़ूड व्यवहार भाषा जाति धर्म के लोग एक साथ रहते हैं। अखिलेसश यादव ने कहा कि लखनऊ प्यार का शहर, एक दूसरे का सम्मान करने वाला शहर है।
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भाजपा पर कसा तंज :
मीडिया को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि अक्सर लोग किराए के घर से जाते हैं तो गमले भी ले जाते हैं। कम से कम कुछ अपने साथ ले गए, वो सरकार के पेड़ नहीं हमारे पेड़ हैं। हमनें तो नदी किनारे जगह दी थी लेकिन भाजपा ने तो रोमियो स्क्वायड बना दिया। मोहम्मद रफी क्या थे, उनके पिता साधारण आदमी थे, शेविंग करते थे, सैलून था उनका। लेकिन फिर भी मोहम्मद रफी एक बड़े कलाकार बने और दुनिया भर में अपनी और देश की एक ख़ास पहचान बनाई। अखिलेश यादव को सुनने के लिए इस दौरान भारी संख्या में लोग पहुंचे हुए थे।
योगी सरकार पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि शिलान्यास का दोबारा शिलान्यास उद्घाटन का दोबारा उद्घाटन कर रहे हैं। सैफई के बारे में बहुत निकलता था, तरह-तरह की बातें करते थे लेकिन जब उद्घाटन की बात आई तो सैफई के स्टेडियम मिल गए उन्हें। उन्होंने कान में किसी से कहा कि जैसा मेडिकल कॉलेज सैफई में बऩा, वैसे ही हमारे यहां बने।