मां दुर्गा शक्ति की उपासना हैं। यह शारदीय नवरात्र का पर्व प्राचीन काल से ही मनाया जाता रहा है। आदि शक्ति के हर रूपों की नवरात्र के इन नौ दिनों में पूजा की जाती है। यह हिन्दू समाज का एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार होता है। आज से नवरात्र शुरू हो गये हैं। आज के दिन माँ दुर्गा के पहले स्वरुप शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
आज के दिन का महत्व :
- आज के दिन आदि शक्ति के पहले स्वरुप शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
- शैलराज हिमालय की कन्या होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है।
- माँ शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल का पुष्प सुशोभित होता है।
- वृषभ,देवी शैलपुत्री की सवारी है जिस पर देवी विराजमान रहती हैं।
- देवी का वाहन वृषभ है, इसलिए इन्हें वृषारूढ़ा के नाम से भी जाना जाता है।
- इन्हें सती के नाम से भी जाना जाता है पार्वती और हेमवती भी इसी देवी के अन्य नाम हैं।
- देवी शैलपुत्री का विवाह भगवान शिव से हुआ था।
- नवरात्र के प्रथम दिन शैलपुत्री का पूजन करने से भक्तों को एक प्रकार की शान्ति का अनुभव होता है।
- नवरात्र के इन पावन दिनों में देश और दुनिया के हर मंदिरों में भक्तों की भरमार रहती है।
- सभी भक्त माता से अपने परिवार की सुख शान्ति की कामना करते हैं।
- इस बार का नवरात्र 10 दिनों का होगा ऐसा संयोग कई वर्षों के बाद बना है।
- इस त्यौहार का धार्मिक, आध्यात्मिक, नैतिक व सांसारिक चारों ही दृष्टी में बहुत महत्व होता है।
- दुर्गा पूजा का यह त्यौहार वर्ष में दो बार ही आता है एक चैत्र में और दूसरा आश्विन मास में।
- लेकिन हिन्दू समाज में शारदीय नवरात्र बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है।
- सभी मंदिरों में भक्तों की लम्बी कतारें लगी रहती हैं।
- नवरात्रों में भक्त माता रानी का जगराता करवातें हैं जिसमें भक्त भी बढ़ चढ़ कर भाग लेते हैं।
- आज के दिन माता शैलपुत्री की पूजा करने से भक्तों को सुख और शान्ति की प्राप्ति होती है।
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