यूपी के ग्रेटर नोएडा में बनने वाले पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क को शिफ्ट करने की खबरों के बाद जहाँ एक ओर सीएम योगी आदित्यनाथ ने बाबा रामदेव से बात की है. और उन्हें आश्वासन दिया है वहीं ये मामला न्यायालय में भी जा सकता हैं.
सरकार ने रद्द कर दी थी जमीन:
गौरतलब हैं कि मंगलवार को पतंजलि कंपनी के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने ट्वीट कर बताया कि पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क को यूपी से बाहर शिफ्ट किया जाएगा.
आचार्य बालकृष्ण ने इस बारे में ट्वीट किया, ‘आज ग्रेटर नोएडा में केन्द्रीय सरकार से स्वीकृत मेगा फूड पार्क को निरस्त करने की सूचना मिली. श्रीराम व कृष्ण की पवित्र भूमि के किसानों के जीवन में समृद्धि लाने का संकल्प प्रांतीय सरकार की उदासीनता के चलते अधूरा ही रह गया. पतंजलि ने प्रोजेक्ट को अन्यत्र शिफ्ट करने का निर्णय लिया.’
सीएम योगी पतंजली फ़ूड कोर्ट को नहीं होने देंगे शिफ्ट:
सरकार के इस फैसले के बाद जहाँ पतंजली फ़ूड पार्क को यूपी से स्थानांतरित करने की भी बातें हो रही हैं. वहीँ सीएम योगी ने बाबा राम देव से इस बारे में बात की है. सीएम योगी ने बाबाराम देव को आश्वासन दिया हैं कि वे फ़ूड पार्क को यूपी से बाहर नहीं जाने देंगे.
इस बारे में सीएम योगी के मंत्री सतीश महाना ने जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री ने कल बाबा रामदेव से बात की। आवंटित भूमि पतंजलि आयुर्वेद के नाम पर थी लेकिन बाद में वे इसे पतंजलि फूड्स के तहत चाहते थे। एक और समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने की कोई आवश्यकता नहीं है। इसे कैबिनेट से पहले लाया जाएगा.
योगी सरकार पतंजली की भूमि आवंटन की शर्तों पर संशोधन करेगी. बता दें कि संशोधन प्रस्ताव कैबिनेट बैठक में पेश होगा.
सीएम योगी ने रामदेव से बात करने के बाद मुख्य सचिव को इस मामले को जल्द हल करने के निर्देश दिए जिसके बाद मुख्य सचिव सम्बन्धित विभागों की राय ले रहे हैं.
कैबिनेट के फैसले के खिलाफ जा सकते हैं न्यायालय:
गौरतलब है कि पतंजलि फूड पार्क में 91 एकड़ सबलीज चाहता है. इसके लिए उन्होंने 455 एकड़ में 91 एकड़ की सबलीज मांगी हैं . बता दें कि सबलीज का मतलब अन्य कंपनी को भूमि ट्रांसफर करने से हैं. जब की पतंजलि को 25% छूट पर 455 एकड़ लैंड मिल चुका हैं.
वहीं इस सबलीज से यमुना अथॉरिटी को अरबों का नुकसान होगा. इसी लिए इस मामले में फैसला सिर्फ यूपी कैबिनेट में हो सकता है.
भूमि आवंटन नियम बदलने का हक सिर्फ कैबिनेट को हैं. लेकिन कोर्ट में भी कैबिनेट के फैसले के खिलाफ जाया जा सकता हैं. इसलिए अगर कैबिनेट में योगगुरु के फ़ूड पार्क के हक में फैसला नहीं आया तो वे कोर्ट का रुख कर सकते हैं.
कैबिनेट से पहले सम्बन्धित विभागों की ली जा रही राय:
बहरहाल इस मामले में न्याय विभाग से भी राय मांगी गई हैं. अगर पतंजली को इस तरह रियायत मिल जाती हैं तो अन्य उद्यमी भी इसी आधार पर रियायत मांगेंगे.
बता दें, इस परियोजना की लागत 1666.80 करोड़ रुपये थी. 2 नवंबर 2016 को पतंजलि आयुर्वेद को 455 एकड़ भूमि आवंटित हुई थी. बाबा रामदेव के मुताबिक, इस फूड पार्क से 8000 से अधिक लोगों को सीधा रोजगार और 80 हजार लोगों को परोक्ष रोजगार मिलता.