मेरठ की एक बेटी देश का नाम रोशन करते हुए जर्मनी में आयोजित अंतराष्ट्रीय शूटिंग स्पोर्ट फेडरेशन के जूनियर विश्व कप में 50 मीटर राइफल प्रोन प्रतियोगिता के लिए चयनित हुई हैं. 22 जून को ये प्रतियोगिता होने वाली हैं लेकिन देश की इस होनहार बेटी की आर्थिक स्थिति उसके सपनों की उड़ान में बाधा बन गयी हैं.
प्रिया सिंह आईएसएसएफ जुनियर विश्व कप के लिए चयनित:
19 साल की प्रिया सिंह मेरठ के मवाना की रहने वाली हैं. पिता एक मजदूर और बेटी एक होनहार खिलाड़ी. प्रिया ने उधार की राइफल से ये चैम्पियनशिप क्वालीफाई तो कर लिया लेकिन अब उसकी सबसे बड़ी परीक्षा जर्मनी में होने वाली इस अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेना हैं.
गौरतलब हैं कि इस प्रतियोगिता के लिए 6 खिलाडियों का चयन हुआ है, प्रिया इन 6 खिलाडियों में से एक हैं और चौथे स्थानं पर आई हैं. जो उनकी सबसे बड़ी कमी बन गयी हैं. क्योंकि सरकार सिर्फ प्रथम 3 खिलाडियों को ही आर्थिक सहायता देती हैं और चोथे स्थान पर आने की वजह से प्रिया इससे वंचित रह गयी हैं.
यहीं कारण हैं कि शायद प्रिया इस प्रतियोगिता में हिस्सा भी ना ले पाए. अगर उनको आर्थिक मदद ना मिली.
पीएम मोदी को लिखा वित्त सहायता के लिए खत:
22 जून से जर्मनी के सुहल में अंतरराष्ट्रीय शूटिंग स्पोर्ट फेडरेशन (आईएसएसएफ) जूनियर विश्व कप में 50 मीटर राइफल प्रोन में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए 19 वर्षीय प्रिया सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक सभी को पत्र लिख कर अपनी जर्मन यात्रा और आवास के लिए आवश्यक धनराशि की सहायता के लिए अनुरोध किया हैं.
प्रिया सिंह ने कहा कि, “मैं प्रतियोगिता में भाग लेना चाहती हूं लेकिन मुझे बताया गया है कि मुझे 3-4 लाख रुपये की आवश्यकता होगी। मेरे पिता एक मजदूर हैं। वह अपनी पूरी कोशिश कर रहे है लेकिन धन की व्यवस्था करने में सक्षम नहीं है।”
खिलाड़ी ने बताया कि उसने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और पीएम मोदी को वित्तीय सहायता के लिए खत लिखा हैं. मैं स्पोर्ट्स मिन में भी दो बार गई लेकिन उनसे मुलाकात नहीं कर सकी.”
वहीं अपनी बेटी की उपलब्धि पर खुश पर अपनी आर्थिक स्थिति से लाचार प्रिया के पिता बृजपाल सिंह ने कहा, मैंने विधायक, मुख्यमंत्री, खेल मंत्री और पीएम से अनुरोध किया, लेकिन उनमें से किसी से प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई। मैंने अपनी भैंस बेच दी हैं, दोस्तों से ऋण लिया है और अगर सरकार हमारी मदद नहीं करती. मैं फिर भी अपनी बेटी को किसी भी कीमत पर जर्मनी भेजूंगा.