कपास एक महत्वपूर्ण नकदी फसल होती है।इसी से रुई तैयार की जाती है।जिसे ‘सफ़ेद सोना’ कहा जाता है।कपास से ही कपड़ा तैयार किया जाता है।चीनी वैज्ञानिकों ने जीन प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर कपास के पौधों के एक प्रमुख रोग की रोकथाम के लिए सफलता प्राप्त कर ली है।
वैज्ञानिकों की सफलता :
- चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेस के सूक्ष्म जीव विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने पता लगाया है
- जीन हस्तक्षेप प्रौद्योगिकी रोगजनक कवक के प्रसार को रोक सकता है।
- जो वर्टिसिलियम दाहले विल्ट का कारण होता है।
- वर्टिसिलियम दाहले विल्ट एक रोगजनक नाड़ी कवक होता है जो बहुत सी फसलों का विनाश कर देता है।
- वैज्ञानिक ‘गुओ हुशान’के शोध समूह ने कवक द्वारा कपास को संक्रमित करने के तरीके की खोज की है।
- कपास पर कीड़ों और रोगों का प्रकोप भी अधिक होता है जिससे कपास की फसल पर गहरा असर पड़ता है।
यह भी पढ़े :भारतीय ई-सिगरेट को अपनाते हैं अपने धुम्रपान में!
- कवक के प्रतिरोध के साथ कपास की एक नई फसल की 2.25 प्रतिशत वैज्ञानिकों ने अधिक खेती की है।
- ‘गुओ’ने यह भी कहा कि कपास के किसानों को रोगजनक-रोधी कवक से अधिक फायदा भी होगा।
- ‘आवश्यकता-मूलक उपयोग’ द्वारा ‘जैविक फसल रक्षक’ के छिड़काव से इन कीड़ों एवं रोगों पर नियंत्रण किया जा सकता है।
- साथ ही फसल पर ‘आक्रामक कीड़े या रोग की पहचान के अनुरूप’ ही नियंत्रण के उपाय अपनाये जाने चाहिए।
- रोकथाम के उपायों को अपनाने से कपास के कीड़ों एवं रोगों का उचित नियंत्रण हो सकता है।
- कपास भारत की आदि फसल होती है जिसकी खेती बहुत ही बड़ी मात्रा में की जाती है।
- इसलिए कपास के रोगों की रोकथाम के उपाय अपनाने चाहिए जिससे इसके रोगों पर नियंत्रण किया जा सके।
यह भी पढ़े :शोध में सामने आये एक्टिव रहने के फायदे !
UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें