उत्तर प्रदेश के बागपत जिला कारागार के भीतर पूर्वांचल के कुख्यात अपराधी प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की सोमवार को जेल के भीतर कई गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी। मुन्ना बजरंगी की हत्या का आरोप कुख्यात अपराधी सुनील राठी पर लगा है। जेल के भीतर हुई हत्या ने पुलिस की चौकसी को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। इस मामले में एडीजी जेल चंद्र प्रकाश ने बागपत जेलर, डिप्टी जेलर सहित चार पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया।
इस घटना के बाद यूपी की सभी जेलों में सघन चेकिंग अभियान चलाया गया। जेल के भीतर आपत्तिजनक सामग्री भी बरामद हुई। वहीं कुख्यात अपराधियों की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई। 29 नवम्बर 2005 को गाजीपुर के भांवरकोल थाने के बसनिया चट्टी पर तत्कालीन भाजपा विधायक कृष्णानंद राय सहित 7 लोगों की गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई थी। जिसमें मुख्तार अंसारी मुन्ना बजरंगी सहित कई लोग नामजद थे। इसमें वर्तमान समय में यूपी के मैनपुरी जेल के बंद संजीव कुमार उर्फ जीवा की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। जीवा को अलर्ट बैरक में रखा गया है। वर्ष 2011 में कोर्ट में अर्जी देकर जीवा ने असुरक्षा जाहिर की थी। बजरंगी की हत्या के बाद उसकी सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद लोग सवाल उठाने लगे हैं कि जेल के अंदर जाने पर गहन तलाशी ली जाती है। कोई पिस्तौल लेकर कैसे अंदर घुस गया? आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि बागपत जेल के अंदर की वारदात भाजपा सरकार के किसी रसूखदार नेता या मुख्यमंत्री योगी के इशारे पर घटना को अंजाम दिया गया है। मुन्ना बजरंगी की हत्या से साफ है, यूपी में जंगलराज चल रहा है। बता दें कि आज पूर्व बसपा विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी मांगने के आरोप में बागपत कोर्ट में मुन्ना बजरंगी की पेशी होनी थी। मुन्ना बजरंगी को रविवार झांसी जेल से बागपत लाया गया था। उसे तन्हाई बैरक में कुख्यात सुनील राठी ओर विक्की सुंहेड़ा के साथ रखा गया था। उसकी जेल में ही गोली मारकर हत्या कर दी गई। जेल में माफिया डॉन की हत्या से अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। जेल के भीतर हुई मुन्ना बजरंगी की हत्या से जेल प्रशासन पर कई सवालिया निशान उठने लगे हैं।