महज एक महीने पहले यानी 12 जून को ही राजधानी लखनऊ के अत्याधुनिक और करोड़ों में बने आलमबाग बस अड्डे की सच्चाई सामने आ गयी. शहर में पहली बारिश की बूंदों ने इस बस अड्डे की गुणवत्ता को धुल कर रख दिया. जी हाँ, बुधवार को हुई बारिश में आलमबाग बस टर्मिनल छत ही टपने लगी. इतना ही नहीं बारिश इतनी भी मुसलाधार नहीं थी लेकिन बस टर्मिनल की सीलिंग तक गिर गयी.
एक माह पहले ही हुआ था उद्घाटन:
लखनऊ में बीती शाम हुई बारिश में महज एक महीने पहले खुले आलमबाग बस टर्मिनल की छत टपकने लगी और पानी दफ्तरों में घुस गया। करोड़ों की लागत से बने टर्मिनल की पहली ही बारिश में जो हालत हुई, उसके बाद अफसरों में अफरा-तफरी मच गई.
बारिश का पानी जमा होने से स्टेशन इंचार्ज, ड्यूटी रूम और ईटीएम रूम काफी देर बंद रहा। आखिर में एआरएम प्रबंधन प्रशांत दीक्षित ने शालीमार कंपनी के कर्मचारियों को बुलाकर सफाई कराई.
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दफ्तरों में इस तरह बारिश का पानी भरने के बाद अफसरों ने आनन-फानन में सफाई कर्मी बुला लिए और पानी बाहर निकलवाने का काम शुरू करवाया. इन सब के बीच विभागीय काम ठप हो गया और काफी देर तक कार्यालय में अफरा-तफरी का महौल बना रहा.
करोड़ो से तैयार हुआ है आलमबाग बस टर्मिनल:
चंद मिनटों की बारिश ने आलमबाग बस टर्मिनल की पोल खोल दी. छत पर बारिश का पानी बस टर्मिनल के द्वितीय फ्लोर पर पहुंच गया. जहां आलमबाग डिपो के एआरएम का कमरे में पानी घुस गया. इसके अलावा स्टेशन इंचार्ज, डियूटी रूम, ईटीएम रूम में पानी ही पानी नजर आने लगा. बस टर्मिनल के मुख्य गेट पर लगा सामानों की जांच करने वाला स्कैनर के ऊपर की सीलिंग गिर गई. हलांकि इससे किसी यात्री को चोट नहीं लगी.
वहीं बारिश के दौरान सभी लिफ्टें बंद करवा दी गई. मौके पर पहुंचे एआरएम प्रबंधन प्रशांत दीक्षित ने शालीमार कंपनी को सूचना देकर बुलाया. जहां छत से टपक रहा बारिश का पानी रोकने की व्यवस्था की गई.
एक सवाल:
अब सवाल ये उठता है कि करोड़ों खर्च करने के बाद भी बस टर्मिनल की हालत जब हल्की ही बारिश में ऐसी हो गयी तो अगर मुसलाधार या लगातार बारिश होने लगे तो इस बस टर्मिनल की हालत खस्ता नहीं होगी इस बात पर कैसे विश्वास किया जाये.
इतना ही नहीं, सिर्फ अत्याधुनिक बिल्डिंग बनवाने से कुछ नहीं होता, सवाल गुणवत्ता का होता है. तो इतनी बेकार गुणवत्ता की जिम्मेदारी कौन लेगा? इंजीनियर, अधिकारी, विभाग, मंत्री, योगी सरकार या पूर्व की अखिलेश सरकार?