बिजली की खपत कम करने को शहर में एलईडी लाइटों को लगाने में घपला पकड़ा गया है। इन लाइटों को लगाने का ठेका ईईएसएल कंपनी को दिया गया था। कंपनी ने शहर में 1.36 लाख एलईडी लगाने की रिपोर्ट नगर निगम को दी थी, लेकिन नगर निगम के भौतिक परीक्षण में यह लाइटें 1.19 लाख ही मिलीं। सत्रह हजार एलईडी लाइटें कहां गईं? कंपनी ने गलत रिपोर्ट क्यों दी? कहीं लाइटों को बाजार में बेचने की तैयारी तो नहीं? इन बिंदुओं पर नगर आयुक्त डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने मुख्य अभियंता मार्ग प्रकाश को जांच के निर्देश दिए हैं।
शहर में लगी सोडियम लाइटों और ट्यूब लाइटों को हटाकर एलईडी लाइटों को लगाया जाना है। केंद्र सरकार की इस योजना को ईईएसएल कंपनी को लगाने का काम दिया गया है। ईईएसएल की तरफ से एलईडी लाइटों को लगाने में बरती जा रही लापरवाही का मामला कई बार चर्चा में आ चुका है। नगर निगम सदन में भी पार्षदों ने ईईएसएल कंपनी की लापरवाही से शहर में मार्ग व्यवस्था खराब होने का आरोप लगाया था। तब मेयर संयुक्ता भाटिया ने सदन में ईईएसएल के अधिकारियों को बुलाकर सफाई देने को कहा था, लेकिन अधिकारियों की तरफ से दी गई सफाई के बाद भी शहर की मार्ग प्रकाश व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पाई थी।
इसी दौरा ईईएसएल कंपनी ने 1.36 लाख एलईडी लाइटों को लगाने की रिपोर्ट देकर अपना टारगेट पूरा होने की रिपोर्ट नगर निगम को दे दी थी। नगर निगम के मुख्य अभियंता (मार्गप्रकाश) राम नगीना त्रिपाठी ने बताया कि ईईएसएल कंपनी से 17 हजार एलईडी लाइटों की रिपोर्ट मांगी गई है। इसके लिए कंपनी को झूठी रिपोर्ट देने पर नोटिस भी जारी की गई है। नगर आयुक्त डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि शहर में सोडियम और ट्यूब लाइट के बदले लगाई गईं अधिकांश एलईडी लाइटें खराब हैं। इसकी शिकायतें नगर निगम के कंट्रोल रूम में दर्ज हो रही है। ईईएसएल कंपनी से अभियान चलाकर लाइटों को ठीक करने को कहा गया है।
चिनहट के नया गांव निवासियों ने शनिवार को नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना से ईईएसएल की तरफ से लगाई गई एलईडी लाइटों के खराब होने की शिकायत दर्ज कराई थी। लोगों ने यहां तक कहा था कि शिकायत के बाद भी कंपनी के लोग उसे ठीक नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा ईईएसएल की तरफ बनाया गया कंट्रोल रूम प्रभावी नहीं है। लोगों की शिकायत पर नगर विकास मंत्री ने एलईडी लाइटों के खराब होने की शिकायतें नगर निगम के कंट्रोल रूम पर ही दर्ज कराने के निर्देश दिए थे।