ताजमहल संरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से कहा है की ताज महल के रख रखाव और पुनर्विकास के लिए कुछ ख़ास ऑफिसर और अथॉरिटी की जल्दी नियुक्त करें.
ताजमहल की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी. जस्टिस मदन बी लोकुर व जस्टिस दीपक गुप्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था की “ताजमहल को बंद कर दे, इसे ध्वस्त कर दे या इसका संरक्षण करें.”
उसके बाद ही यू०पी० सरकार ने अदालत के सामने ताज महल के लिए एक विज़न डॉक्यूमेंट पेश किया था. डॉक्यूमेंट में बताया गया था की किस तरह इस ऐतिहासिक धरोहर को सुरक्षित और संरक्षित किया जा सकता है.
इस मामले में आज हो रही है सुनवाई:
कौन कौन से कदम उठाये जा सकते हैं?
यू०पी० सरकार द्वारा पेश किये गये विज़न डॉक्यूमेंट के अनुसार ताजमहल को ‘नो प्लास्टिक जोन’ बना दिया जाना चाहिए. ताजमहल के आसपास प्लास्टिक का कोई भी सामान यहाँ तक की पानी की बोतल ले जाने की भी अनुमति नहीं मिलनी चाहिए.
ताजमहल के आस पास किसी भी तरह का कंस्ट्रक्शन पर रोक लगा देनी चाहिए. और आगे से कोई भी काम शुरू नहीं होना चाहिए.
इस क्षेत्र में प्रदूषण फ़ैलाने वाले उद्योगों को पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए.
ताजमहल के पास बैटरी से संचालित गाड़ियां चलाई जानी चाहिए और योजनाबद्ध तरीके से सड़कों का निर्माण कर के यातायात क सीमित कर देना चाहिए और पदयात्रा को बढ़ावा देंना चाहिए.
16 जुलाई को उच्च न्यायलय ने एक कमिटी का गठन भी किया है जो ताजमहल के आसपास प्रदूषण के स्त्रोत का पता लगाएगी.