राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने वर्तमान उप्र सरकार को निर्दयी और क्रूर सरकार करार देते हुये कहा कि लगातार शिक्षामित्रों की उपेक्षा की जा रही थी। जिसके कारण उन्हें सिर मुड़वाने को मजबूर होना पड़ा। महिलाओं का ऐसा अपमान पहले कभी नहीं हुआ। उप्र सरकार नौनिहालों की शिक्षा के प्रति पूर्णतः उदासीन है क्योंकि इस सरकार का यह द्वितीय शिक्षा सत्र है और अब तक विगत सत्र की तरह पुस्तके, ड्रेस आदि का वितरण सम्पन्न नहीं हो सका तो दूसरी ओर अब तक लगातार शिक्षकों की कमी बनी हुयी है जिसे पूरा करने मेें सरकार को कोई रूचि नहीं है।
सुरेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने कहा कि 25 जुलाई 2017 को शिक्षामित्रों का समायोजन सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रद्द किये जाने के बाद ही सरकार की इन शिक्षामित्रों एवं शिक्षा व्यवस्था के प्रति उदासीनता स्पष्ट रूप से दिखाई पडने लगी थी। क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने पुर्नविचार याचिका सरकार की ओर से नहीं दाखिल की गयी जो स्पष्ट प्रमाण है। आज भी लगभग 2 महीने से शिक्षामित्र आन्दोलित है और उनकी मांगों में प्रमुख रूप से 124000 शिक्षामित्र जो कि बीटीसी प्रशिक्षण (पैराटीचर के रूप में) प्राप्त कर चुके हैं, उनके समायोजन की है।
इसके अतिरिक्त अन्य मांगे भी उचित प्रतीत होती हैं। सरकार के कान पर 2 महीने से चल रहे शिक्षामित्रों के धरना प्रदर्शन को देखते हुये भी जूं तक नहीं रेंगी और सुहागिन महिलाओं और पुरूष शिक्षामित्रों ने सिर मुड़ाकर श्राद्ध त्रपण करके सरकार के विरूद्व अभूतपूर्व आक्रोश दर्ज कराया और सरकार के महिला सशक्तीकरण के नारे को खोखला सिद्ध किया। रालोद प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि सरकार की नीतियों को देखते हुये ऐसा लगता है कि 2009 से नौनिहालों को शिक्षा दे रहे शिक्षामित्रों के प्रति सरकार की कोई रूचि नही है। शिक्षामित्रों के स्थान पर सरकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्यों को नियुक्त करना चाहती है ताकि शिक्षा मन्दिरों को भी संघ की शिक्षा से ओत प्रोत किया जा सके।