2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी ने तैयारी शुरू कर दी है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी पदाधिकारियों के साथ चुनावी रणनीति बनाना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही यूपी में बसपा से गठबंधन के मद्देनजर सपा ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई थी जिसमें पार्टी पदाधिकरियों के साथ चुनावी चर्चा हुई थी। हालाँकि सपा की इस राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से कई बड़े नेताओं ने अपनी दूरी बनाई हुई थी। इसके बाद से सियासी गलियारों में इसे लेकर कई तरह की चर्चाएँ शुरू हो गई हैं।

अखिलेश के साथ मंच साझा करने से कतरा रहे मुलायम :

उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके पिता और पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बीच अभी भी रिश्ते सामान्य नहीं हुए हैं। 28 जुलाई को लखनऊ में पार्टी मुख्यालय में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक थी लेकिन उसमें मुलायम सिंह यादव नहीं पहुंचे थे। मुलायम सिंह यादव के अलावा उनके छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव भी इस बैठक से नदारद रहे थे। देखा जाए तो, ये पहली बार नहीं हुआ कि जब मुलायम सिंह यादव पार्टी की बैठक में न पहुंचे हों। इससे पहले पिछले साल आगरा में आयोजित बैठक में मुलायम नहीं पहुंचे थे। मुलायम के न पहुँचने के पीछे माना जा रहा है कि वे अखिलेश यादव के साथ मंच साझा नहीं करना चाहते हैं।

पार्टी ने दी सफाई :

यूपी के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर अखिलेश ने पिता मुलायम सिंह यादव को पार्टी अध्यक्ष पद से हटाकर खुद पार्टी की कमान अपने हाथों में ले ली थी। इसके साथ ही अखिलेश ने चाचा शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया था। मुलायम सिंह यादव के खास अमर सिंह को पार्टी से बाहर कर दिया गया था। पार्टी कार्यकारिणी ने मुलायम सिंह यादव को सपा का संरक्षक नियुक्त किया था। अब बैठक में मुलायम के न आने पर पार्टी नेता कह रहे हैं कि वो राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य नहीं है, इसलिए बैठक में नहीं आए थे। वहीँ  पार्टी के ही दूसरे बड़े नेता कह रहे हैं कि चूंकि मुलायम सिंह यादव पार्टी के संस्थापक हैं और संरक्षक हैं इसलिए वो पार्टी की किसी भी बैठक में शामिल हो सकते हैं।

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