उत्तर प्रदेश के हरदोई जिला के बेनीगंज कस्बे के कृष्णानगर में संचालित स्वाधार गृह के संचालक और अधीक्षक पर डीपीओ की तहरीर पर बेनीगंज कोतवाली में मंगलवार को जालसाजी की रिपोर्ट दर्ज की गई। मामले गंभीरता को देखते हुए एसपी हरदोई विपिन कुमार मिश्रा के निर्देश पर पुलिस ने छापेमारी कर संचालिका को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस संचालिका से पूछताछ कर आगे की कार्रवाई कर रही है।
जिलाधिकारी ने किया था औचक निरीक्षण
एसपी विपिन कुमार मिश्रा ने बताया कि सोमवार को बेनीगंज कस्बे में आयशा ग्रामोद्योग संस्थान की ओर से स्वाधार गृह का संचालन किया जा रहा था। सोमवार को जिलाधिकारी पुलकित खरे ने बेनीगंज के प्रभारी निरीक्षक सुभाषचंद्र सरोज के साथ स्वाधार गृह का औचक निरीक्षण किया था। 21 महिलाओं के नाम-पते यहां के रजिस्टर में दर्ज मिले, लेकिन जब डीएम ने इन महिलाओं को बुलाने को कहा तो सिर्फ दो महिलाएं ही मौजूद मिलीं। डीएम ने प्रमुख सचिव महिला कल्याण रेणुका कुमार से उक्त संस्था को ब्लैक लिस्टेड किए जाने के साथ ही अनुदान रोके जाने के संबंध में भी संस्तुति कर दी थी।
अन्य लोगों की तलाश में पुलिस कर रही छापेमारी
डीएम के निर्देश पर मंगलवार को जिला प्रोबेशन अधिकारी सुशील कुमार सिंह ने आयशा ग्रामोद्योग संस्थान के संचालक मोहम्मद रजी और स्वाधार गृह की अधीक्षक आरती के विरुद्ध बेनीगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज करा दी। एसपी ने बताया कि इन लोगों के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 491, 477 (A) और 465 आईपीसी के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। इसके बाद आरती नाम की संचालिका को गिरफ्तार कर लिया गया है। अन्य लोगों की तलाश में पुलिस छापेमारी कर रही है।
सरकारी खजाने में संपत्ति जब्त करके जमा कराई जायेगी
एसपी हरदोई ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि जिलाधिकारी पुलकित खरे ने तहसीलदार संडीला पंकज सक्सेना को दोबारा स्वाधार गृह का निरीक्षण करने भेजा। वह महिला पुलिस और बेनीगंज के प्रभारी निरीक्षक सुभाषचंद्र सरोज के साथ स्वाधार गृह पहुंचे। स्वाधार गृह के संचालकों और अधीक्षक ने दावा किया कि 13 महिलाएं जो कि नैमिषारण्य गई हुई थीं, वह लौट आईं हैं। इस पर तहसीलदार ने इन महिलाओं से पूछताछ शुरू की। महिलाओं ने तहसीलदार को बताया कि वह लोग यहां नहीं रहती हैं।
अधीक्षक आरती और नीरू तिवारी उन्हें कस्बे से ही बुलाकर लाईं हैं। कुछ महिलाएं आसपास के गांव की भी थीं। तहसीलदार से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह गोपनीय जांच करने आए हैं और अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को देंगे। उन्होंने बताया कि संचालिका जब कोई अधिकारी निरीक्षण करने आता था तब इन महिलाओं को बुला लेती थी। इसके बाद इन महिलाओं को वापस घर भेज देती थी। जांच में पता चला है कि ये गोरखधंधा काफी समय से चल रहा था। इसकी ऑडिट कराई जा रही है। गोरखधंधे के दौरान संचालिका की जितनी संपत्ति होगी वह सरकारी खजाने में जमा कराई जाएगी।
संस्था को मिले अनुदान का विभाग के पास हिसाब नहीं
जिलाधिकारी पुलकित खरे ने महिला कल्याण विभाग के अधिकारियों से आयशा ग्रामोद्योग संस्थान को वर्ष 2001 से अब तक मिले अनुदान के बारे में ब्योरा मांगा था। विभाग से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी दिन भर इस ब्योरे की तलाश विभागीय कार्यालय में करते रहे, लेकिन विभाग के पास कोई ब्योरा नहीं मिला। विभाग के पास सिर्फ 4 लाख 40 हजार 550 रुपये संस्था को नवंबर 2017 में दिए जाने का ही जिक्र है। अब आशंका जताई जा रही है कि कहीं सुनियोजित ढंग से तो ब्योरा गायब तो नहीं किया गया। जिला प्रोबेशन अधिकारी सुशील कुमार सिंह ने बताया कि ब्योरा तलाशा जा रहा है। मिलते ही इसे डीएम के पास भेज दिया जाएगा।
विवादों में घिरा रहा बाल संरक्षण गृह
नारी संरक्षण गृह देवरिया में हुई घटना के बाद से बाल संरक्षण गृहों को भी गंभीरता से लेते हुए जाच का आदेश दिया है। जिले में नारी संरक्षण गृह तो नहीं है, हा बाल संरक्षण गृह जरूर है और वह विवादों में भी घिरा रहा। इसपर किशोरों के शोषण तक के आरोप लग चुके हैं। शहर से रद्देपुरवा मार्ग स्थित संप्रेक्षणगृह में हरदोई के साथ ही सीतापुर और लखीमपुर के विभिन्न मामलों में आरोपित किशोर रखे जाते हैं। वैसे तो सख्ती है, लेकिन कई गंभीर आरोप लग चुके हैं। एक किशोर ने तो कर्मचारी पर ही शोषण का आरोप लगाया था। तो अभी कुछ दिन पूर्व शोषण को लेकर हंगामा भी हुआ था, लेकिन उसके बाद कार्रवाई हुई। अधिकारी भी निरीक्षण करने पहुंचे, पर देखा जाए तो संप्रेक्षण गृह का विवादों से नाता रहा।