बरसात का मौसम आते ही नदियां रौद्र रूप धारण कर लेती है और बाढ़ के तौर पर एक बड़ी आपदा लोगो को झेलनी पड़ती है। इन नदियों से आने वाली बाढ़ को रोकने के लिए बाँध बनाये गए है। लेकिन इन इन बांधों की हालत जर्जर है।
करोड़ों खर्च कर के भी बाढ़ रोकने में असमर्थ:
करोड़ो रुपया बाढ़ की रोक थाम के लिए हर वर्ष खर्च किया जाता है पर इसके बावजूद भी इस आपदा को रोक पाने में जिम्मेदार फेल नजर आते है। ऐसा ही नजारा आज कल प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में देखने को मिल रहा है जिसमें आज कल नदियों का रौद्र रूप सामने आया है. इस जिले में नेपाली नदियो का पानी हर साल तबाही मचाता है।
डुमरियागंज तहसील के राप्ती नदी के पास बसा गाँव डूबने की कगार पर :
मामला सिद्धार्थनगर जिले के डुमरियागंज तहसील के राप्ती नदी के किनारे बसे गाँव बड़हरा का है. इस गाँव के किनारे से बहने वाली राप्ती नदी धीरे धीरे खतरे के निशान के करीब पहुँच रही है तो गाँव के करीब कटान करना भी शुरू कर दिया है। कटान तेजी के साथ हो रहा है। ऐसे ही कटान होता रहा तो वो दिन दूर नही जब ये गॉव नदी में विलीन हो जायेगा। वहीं इससे गाँव के लोग हर पल दहशत में जीने को मजबूर है।
नदी की कटान तेज:
एक तरफ राप्ती नदी की कटान गाँव के लिए मुसीबत बनती जा रही है तो वही जिम्मेदार है कि जिस जगह पर नदी की कटान तेज है वहाँ कटान रोकने के लिए पहल करते भी नजर नहीं आ रहे है। ग्रामीण है कि अपने गाँव के अस्तित्व को बचाने की गुहार जिम्मेदारों से लगा रहे है।जहाँ ग्रामीण दहशत में है वही जिले के जिलाधिकारी कह रहे है कि इस कटान का काम जल्द कराया जाएगा।
वहीं गाँव वालों का कहना है कि जब पिछले साल बाढ़ आई थी, तब डुमरियागंज विधायक राघवेंद्र सिंह ने गाँव वालो को दूसरी जगह बसाने की बात की थी लेकिन अब हम लोग बेघर हो रहे हैं लेकिन कोई पूछने वाला नही है न सांसद या विधायक।
एक बड़ा सवाल है कि आखिर इस गॉव के पास हो रही कटान को पहले क्यों नही ठीक करवाया गया। बाढ़ के नाम पर आने वाला पैसा आखिर बाढ़ में बहने की जगह इसे रोकने का काम करेगा। बाढ़ रोकने के लिए खर्च तो करोडो होता लेकिन जमीन पर नही सिर्फ कागजो में नही तो हर वर्ष बाढ़ की आपदा इस जिले के लोगो को न सहनी पड़ती।
समय रहते नदियो पर बनाये गए बन्धो और नदियो द्वारा कटान किये जाने वाले कटान स्थलो पर अगर ध्यान दिया जाये तो शायद हर वर्ष आने वाली इस बाढ़ की तबाही से बचा जा सके।