उत्तर प्रदेश में बाढ़ के कहर का डर लोगों को भयंकर सताने लगा है। पहाड़ों व मैदानी इलाकों में हो रही बारिश से नदियों का कहर जारी है। बहराइच, गोंडा, बाराबंकी, बलरामपुर, श्रवस्ती, सीतापुर, लखीमपुर के 170 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। गोंडा में एल्गिन चरसड़ी तटबंध के स्पर नं. पांच पर कटान शुरू हो जाने से ग्रामीण भयभीत हैं। रायबरेली के बसकटा निवासी किसान सत्य नारायन (50) की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। उनकी साढ़े तीन बीघे धान की फसल बाढ़ में डूबी है। परिवारीजनों का कहना है सदमे से मौत हो गई। गोंडा में उमरी के भिखारीपुर सकरौर तटबंध के स्पर नंबर पांच पर सौनोली मोहम्मदपुर गांव के पास कटान होने से ग्रामीण सहमे हुए हैं।
कर्नलगंज व तरबगंज तहसील के 10 और मजरों में बाढ़ का पानी घुस गया है। बहराइच में घाघरा व सरयू की बाढ़ से घिरे गांवों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सरयू, शारदा व गिरिजापुरी बैराजों से दो लाख 50 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। मिहींपुरवा, नानपारा, महसी व कैसरगंज के 100 गांव पानी से घिर गए हैं। राहत व बचाव के प्रशासन के दावे हवा-हवाई साबित हो रहें हैं। दो दर्जन संपर्क मार्गो पर बाढ़ का पानी बह रहा है। तकरीबन एक दर्जन परिषदीय विद्यालय भी जलमग्न हो गए हैं।
एनडीआरएफ की टीम ने प्रभावित गांवों का जायजा ले रही है। सीतापुर में रेउसा के ताहपुर व बेहटा के रतौलीडीह में शारदा और म्योड़ी छोलहा, गोलोक कोडर के मजरा कोनी, श्यामनगर में भी घाघरा कटान कर रही है। सैकड़ों किसानों की खरीफ की फसलें नदी में समा चुकी हैं। लखीमपुर के तिकुनिया में मोहाना का जलस्तर स्थिर है। इससे बाढ़ से प्रभावित छह गांवों में हालात जस के तस बने हैं। श्रवस्ती में राप्ती नदी का जलस्तर घटने से तटवर्ती गांवों में कटान शुरू कर दी है। बलरामपुर में राप्ती नदी लाल निशान से ऊपर बह रही है।
प्रदेश के सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाढ़ पीड़ितों को आपदा से स्थायी समाधान के लिए बाराबंकी जिले को दो परियोजनाओं की सौगात दी है। इसमें अलीनगर रानीमऊ तटबंध और रौनाही तटबंध के बीच 11.5 किलोमीटर लंबाई का नया तटबंध आधुनिक डिजायन से बनाने की मंजूरी दे दी है। इस परियोजना से हजारों एकड़ कृषि भूमि के अलावा हजारों की आबादी को बाढ़ से हमेशा के लिए निजात मिल जाएगी। इन परियोजनाओं को इसी वित्तीय वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है। कटान रोकने के लिए नदी की धारा में जरूरत पड़ी तो और ड्रेजिंग कार्य करवाया जाएगा, क्योंकि मानसून से पहले सनावा गांव में ड्रेजिंग कार्य करवाने से आसपास गांवों में इस बार कटान नहीं हुई है।